1-राजनीतिक दलों का काम है प्रजा को प्रजातंत्र के प्रति विश्वास स्थापित कराना वोट के महत्व को बताना जनप्रतिनिधियों के कर्तव्यों के बारे में प्रजा को आगाह कराना ।
2-सामाजिक संगठनों का काम स्वयंसेवा जिसमें संगठन बनाकर समाज की सेवा करना प्रजा से आर्थिक ओर बौद्धिक शारीरिक श्रम का सहयोग और सरकारी धन से उनकी शिक्षा स्वथ्य की देखभाल और सामाजिक समरसता स्थापित करना अंधविश्वास ओर पाखण्ड जैसी कुरीतियों को दूर करने के लिये काम करना ।
3-समाज ओर सरकार के द्वारा चलाये जा रहे आर्थिक उपकृम समाज में बेरोजगारी हटाना समाज और राष्ट को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाना है ।
परन्तु
-राजनीतिक संगठन व्यापार का ज्ञान बाटने लगें जो उनका काम नहीं ।
-सामाजिक संगठन राजनीति करने लगें जो उनका काम नहीं ।
-आर्थिक उपकृम समाजसेवा में धन लगानें लगें !
तब इनके द्वारा समाज हित में अपेक्षित परिणाम केसे संभव है । इसलिये जिसको जो काम करना चाहिये वह वो काम करे तो शायद अपेक्षित परिणाम संभव हे अन्यथा रिलायन्स ओर बाबा रामदेव बनकर इस देश को पूंजिवाद की व्यवस्था जहां सबकुछ एक ही दुकान से मिलेगा एकाधिकार के चलन की ओर आगे बढकर देश को गुलाम बनने से नहीं रोक सकते ।
(नोट :- यहां समाज का मतलब समुदाय से नहीं है।) -gulzar singh markam
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