गोंडवाना एक भूभाग है और उस भूभाग में आदिकाल से सर्वप्रथम पाया जाने वाला आज का बिखरा हुआ समूह जिसे अनेक विद्वान अलग अलग नाम देते हें ! यथा आदिवासी ,मूलनिवासी ,मूलवासी ,गिरिजन, वनवासी, जनजाति आदि । क्या देश में अनेक विद्वानों के द्वारा दिये गये इतने सारे नामों का इस्तेमाल करने के बजाय केवल एक नाम जिसको केप्टन जयपाल मुण्डा ने संविधान में स्थापित करने का प्रयास किया, क्या इस "आदिवासी" नाम को स्थापित नहीं किया जा सकता ? यदि एैसा होता है, तो शायद गोंडवाना भूभाग के समस्त आदिवासीयों की एैतिहासिकता प्रासंगिक हो सकती है । अन्यथा बिखरा आदिवासी गोंडवाना भूभाग ,गोंडवाना राष्ट और राष्टीयता की अवधारणा को संदेह की नजरों से देखेगा । क्या हम शब्दों के पीछे एकता की बलि नहीं दे देंगे ।
गोंडवाना एक भूभाग है और उस भूभाग में आदिकाल से सर्वप्रथम पाया जाने वाला आज का बिखरा हुआ समूह जिसे अनेक विद्वान अलग अलग नाम देते हें ! यथा आदिवासी ,मूलनिवासी ,मूलवासी ,गिरिजन, वनवासी, जनजाति आदि । क्या देश में अनेक विद्वानों के द्वारा दिये गये इतने सारे नामों का इस्तेमाल करने के बजाय केवल एक नाम जिसको केप्टन जयपाल मुण्डा ने संविधान में स्थापित करने का प्रयास किया, क्या इस "आदिवासी" नाम को स्थापित नहीं किया जा सकता ? यदि एैसा होता है, तो शायद गोंडवाना भूभाग के समस्त आदिवासीयों की एैतिहासिकता प्रासंगिक हो सकती है । अन्यथा बिखरा आदिवासी गोंडवाना भूभाग ,गोंडवाना राष्ट और राष्टीयता की अवधारणा को संदेह की नजरों से देखेगा । क्या हम शब्दों के पीछे एकता की बलि नहीं दे देंगे ।
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