"विभागीय भर्ती एजेंसियां और कर्मचारी चयन आयोग"
भारतीय संविधान में देश को चलाने के लिये दो तरह के शासकीय तंत्र हैं
1-केंद्रीय प्रशासनिक सेवा तंत्र तथा 2- राज्य प्रशासनिक सेवा तंत्र
केंद्रीय कर्मचारियों के चयन के लिये ऐजेसी है संघ लोक सेवा आयोग और राज्य सेवा कर्मचारियों के चयन के लिये राज्य लोक सेवा आयोग जो विभिन्न विभागों की मांग पर कर्मचारियों का चयन करके संबंधित विभाग को कर्मचारियों की पूर्ति करे । परन्तु संविधान की मंशा को ताक में रखकर केंद्र और राज्य सरकारों नें उक्त एजेंसी की शक्तियों को सीमित करके अपने अपने विभागों की चयन समितियों का गठन कर लिया है । रेल्वे भर्ती बोड स्टेट बैक चयन बोड व्यवसायिक परीक्षा मंडल आदि अनेक विभागों के अपने अपने भर्ती बोर्ड बने हैं और यहीं से भर्तियों में धांधली परिवारवाद और रिस्वतखोरी को बढावा मिला है है । यह भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है इसी का परिणाम है कि विभिन्न विभागों के आरक्षित पदों की रिक्तियों का पता नहीं चलता विभागीय प्रमुख चुपचाप रिक्तियों की पूर्ति के लिये सरकार से अनुमति लेकर उन पदों को भर लेता है । इस तरह की चयन प्रक्रिया में आरक्षित वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है ,आरक्षण को कोटा इसलिये आज तक नहीं भरा
जा सका है । भर्ती रोस्टर व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो चुकी है । इसलिये चतुर्थ से लेकर उच्चतर श्रेणी के सेवको की भर्ती केवल संविधान में कर्मचारी चयन के लिये बनी केंद्र और राज्य का कर्मचारी चयन आयोग ही सबसे पारदर्शी और रोस्टर प्रणाली की पूर्ति कर सकता है अन्यथा विभागीय भर्ती एजेंसियां अंधा बांटे रेवडी चीन्ह चीन्ह के देय वाली कहावत को चरितार्थ करती रहेगी । -gsmarkam
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