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“हिन्दुस्तान, संविधान और आदिवासी “

“हिन्दुस्तान, संविधान और आदिवासी “
आर एस एस यदि संविधान का सम्मान करते हुए “वनवासी” को जनजाति का सम्बोधन करना चाहती है तो स्वागत है ,पर देश का नाम भारत भी संविधानिक है । आर एस एस का इसे “हिन्दुस्तान” नाम से सम्बोधित किया जाना दोगलापन है । यदि आर एस एस हिन्दुस्तान जैसे असंवैधानिक शब्द का सम्बोधन नहीं छोडती है तो अनुसूचित जनजाति समुदाय “गोंडवाना का आदिवासी” जैसे महत्वपूर्ण सम्बोधन से अपने आप को गौरवान्वित करती रहेगी ।-gsmarkam

“मंगल फौजी , और प्रस्तावित मूवी “वसुन्धरा” ( मावा आयाल)”
मंगल फौजी , मूलत: उप्र के निवासी जिन्हे जातिवादी व्यवस्था ने उप्र में विश्वकर्मा, झारखण्ड में लोहरा, मप्र छग में अगरिया , राजस्थान में गाडिया लोहार तथा देश के विभिन्न प्रांतों में ना जाने किन किन नामों से जाना जाता है , इस जानकारी से अनभिग्य हूं । परन्तु “मंगल फौजी के प्रस्तावित मूवी की “ थीम” ने स्रष्टि रचना और मानव / कोयतुरियन सभ्यता की स्थापना में मनुवादियों के कथित स्रष्टि रचयिता भगवान विश्वकर्मा का नाम जोडने का असली कारण समझ में आया । हो सकता है यह समझ मेरी अल्प बुद्धि की समझ का कारण भी हो सकता है, परन्तु मंगल फौजी के अनुशार “ वसुन्धरा “ की इतनी ऊंची थीम के बाद कोई मूवी बनना सम्भव नहीं । अर्थात मेरी समझ के अनुशार प्रक्रति नियम का केवल अनुशरण हो सकता है । नकल हो सकती है जो इंसान की बुद्धि के इर्द गिर्द ही रहेगी । परन्तु प्रक्रति नियम के साथ में जीने की कला ,कौशल और क्रतग्या प्रक्रति का ही पर्याय होती है । कुछ इसी तरह की कहानी पर आधारित मूवी होगी “वसुन्धरा” बडे बजट की यह मूवी “मंगल फौजी” की अंतिम फिल्म होगी । वसुन्धरा के इस लेखक ,निर्देशक के साथ गोंडी चित्रकला के अन्तर्राष्ट्रीय चित्रकार आनंद श्याम , कलावती श्याम के साथ बिताये इसी माह जनवरी २०१८ के समय का वर्णन । अवगत हो कि मंगल फौजी हॉलीवुड के निर्देशक और कलाकारों के साथ भी काम कर चुके है । शेष जानकारी अगले एपिसोड में ! -gsmarkam

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"मरकाम गोत्र के टोटम सम्बन्धी किवदन्ती"

मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत

गोंडी धर्म क्या है

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