"जनता का जमा धन सरकारें जनता में लगाया जाये" अब तो देश के आम नागरिक को यह पता चल जाना चाहिए कि प्रत्येक नागरिक के लिए जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का आम नागरिक के लिए कितना उत्तरदायी होना चाहिए। उसके स्वास्थ, भरण पोषण और अन्य जरूरतों के लिए शासकीय संसाधनों मिशनरी का भरपूर उपयोग क्यों किया जाता है या किये जाने का नाटक किया जाता है। यह इसलिए की राजकोष में जो धन है वह आम जनता का ही धन जमा है जिसे आम जनता के दुख तकलीफ के लिए लगाना अनिवार्य है यही सब कुछ इस वक्त सहायता के नाम पर हो रहा है जो केंद्र और राज्य सरकारों की इच्छाशक्ति पर निर्भर है , यदि भरपूर सहायता प्राप्त नहीं होती है तो सरकारें दोषी होंगी। इस विषय पर बुद्धिजीवी की नजर रहती है । दुनिया को भी यह दिखाना जरूरी। होता है कि हमारी सरकार जनता के पैसे का जनता के हित में कैसे खर्च कर रही है, अन्यथा शासक सरकारों को नीचा देखना ना पड़े । इसलिए आम नागरिकों से अपील है कि वे अपनी सहायता प्राप्त करने के लिए अधिकार के साथ दबाव बनाये साथ ही स्थानीय स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध कराने की मांग भी करे । इसके लिए भले ही आंदोलन करना पड़े हम आंदोलन...