**प्रधानमंत्री राहत कोष** बनाम "प्रधानमंत्री केयर फंड"
कोरोना संकट के नाम पर नरेंद्र मोदी और उनके मंत्री मंडल के दो सदस्यों को लेकर एक ट्रस्ट बनाया गया है इस ट्रस्ट में "प्रधानमंत्री केयर फंड" के नाम पर करोड़ों रूपयों का दान लिया गया है । आपको पता है कि ट्रस्ट की राशि को खर्च करने का केवल ट्रस्टी को ही अधिकार होता है। और तो और इसमें नया प्रावधान जोड़ दिया गया है कि इसके आय व्यय को किसी आर्थिक अन्वेषण संस्था द्वारा भी जांच नहीं किया जा सकता। इसका मतलब यह है कि यह ट्रस्ट भाजपा के हित में राशि एकत्र करने के लिए बनाया गया है। जिसका उपयोग केवल भाजपा के मंत्री जो भाजपा के सदस्य भी हैं,कर पायेंगे। यदि यह शासकीय फंड होता तो ,जिस तरह पूर्व से ही पक्ष विपक्ष के सदस्य और केंद्रीय सेवाओं के उच्च अधिकारियों से मिलकर "प्रधानमन्त्री राहत कोष" का गठन है। जिसमें सभी शासकीय अशासकीय कर्मचारी संस्थायें विशेष परिस्थितियों में अपना योगदान देते रहे हैं। जिसके आय व्यय को सीएजी जैसी उच्च स्तरीय आर्थिक अन्वेषण संस्था को आडिट करने नजर रखने का प्रावधान है। तब प्रधानमंत्री शब्द का विश्वसनीय नाम जोड़कर अपने ही पार्टी के सदस्यों को लेकर सरेआम प्रधानमंत्री केयर फंड के नाम पर ट्रस्ट कहीं ना कहीं अच्छे काम के लिए दान देने वाले लोगों या संस्थाओं के मन में अविश्वास के भाव जरूर पनपे होंगे। क्या यह चंदा कोरोना के काम आयेगा या भाजपा के अनैतिक काम में मददगार होगा इस पर सवाल जरूर उठना चाहिए।
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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