"जनता का जमा धन सरकारें जनता में लगाया जाये"
अब तो देश के आम नागरिक को यह पता चल जाना चाहिए कि प्रत्येक नागरिक के लिए जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का आम नागरिक के लिए कितना उत्तरदायी होना चाहिए। उसके स्वास्थ, भरण पोषण और अन्य जरूरतों के लिए शासकीय संसाधनों मिशनरी का भरपूर उपयोग क्यों किया जाता है या किये जाने का नाटक किया जाता है। यह इसलिए की राजकोष में जो धन है वह आम जनता का ही धन जमा है जिसे आम जनता के दुख तकलीफ के लिए लगाना अनिवार्य है यही सब कुछ इस वक्त सहायता के नाम पर हो रहा है जो केंद्र और राज्य सरकारों की इच्छाशक्ति पर निर्भर है , यदि भरपूर सहायता प्राप्त नहीं होती है तो सरकारें दोषी होंगी। इस विषय पर बुद्धिजीवी की नजर रहती है । दुनिया को भी यह दिखाना जरूरी। होता है कि हमारी सरकार जनता के पैसे का जनता के हित में कैसे खर्च कर रही है, अन्यथा शासक सरकारों को नीचा देखना ना पड़े । इसलिए आम नागरिकों से अपील है कि वे अपनी सहायता प्राप्त करने के लिए अधिकार के साथ दबाव बनाये साथ ही स्थानीय स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध कराने की मांग भी करे । इसके लिए भले ही आंदोलन करना पड़े हम आंदोलन के साथ पूरी तरह तैयार हैं ।
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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