"एकता का संदेश बनाम अंधविश्वास"
कोरोना जैसी महामारी में भी आर एस एस, मोदी के माध्यम से विज्ञान के बीच अंधविश्वास को बचाने का प्रयत्न कर रही है। जब लगने लगा कि कोरोना पूजा और पाखंड से नहीं विज्ञान के अविष्कार से रूकेगी,तब अंधविश्वास को सुरक्षा की चादर ओढ़ाकर घंटा घंटी थाली दीपक बजाकर अंधविश्वास का पैमाना बनाया बनाया। थोड़ी सी सफलता ने पुनः मोदी के माध्यम से टार्च मोबाइल या दीपक जलाकर कथित एकजुटता बनाम कोरोना से संघर्ष का बेतुका संदेश दिया जा रहा है। जब वैज्ञानिकों ने डिस्टेंस लाकडाऊन और सुरक्षा उपकरण को सबसे कारगर उपाय बता दिया तब अलग से ऐसा नाटक क्यों ? इससे दुनिया में देश की बेइज्जती हो रही है। इसी बीच एक और बेइज्जती की बात कि धर्म विशेष के लोगों के द्वारा कोरोना फैलाये जाने की खबर फैलाना भी कुछ लोगों के कारण भारत देश की मानसिक रूग्णता को ही दर्शाता है।
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
Comments
Post a Comment