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"प्रकृृतिवादी दर्शन और संतुलित जीवन"

"प्रकृृतिवादी दर्शन और संतुलित जीवन"

वामपंथ (बांयी बुद्धि) दक्षिण पंथी(दांयी बुद्धि) 
एक कट्टर पंथ और एक नास्तिक/वैज्ञानिक इन दोनों में शांति नहीं ना न्याय नहीं है एक वर्चस्ववादी तो एक अविष्कारक इस रास्ते में स्थिरता नहीं !
"प्रकृृतिवादी दर्शन" एकमात्र रास्ता है जिसमें स्थिरता है सब कुछ वर्तमान में है सबके सामने है।
यही रास्ता सृजनकर्ता और संहारक भी है, इंसान को इसी मार्ग से संतुलित जीवन प्राप्त हो सकता है।
संतुलित व्यवस्था का मार्ग अतिवादी और अपेक्षावादी नहीं हो सकता! धैर्य वा संतोषप्रद होता है। हमें तय करना है,कि मानव जीवन कैसा हो।
- गुलजार सिंह मरकाम 
(राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)

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