(रानी दुर्गावती की जन्मजयन्ति" के उपलक्ष्य में विशेष आलेख)
गोंडवाना की वीरांगना रानी दुर्गावती के शौर्य और वीरता को मुगलों के प्रति गोंडवाना के लोगों का नफरत बढ़ाने को लेकर ऐतिहासिक संदर्भ तैयार किया गया, जिसमें एक ओर उसे राजपूत की बेटी बताकर गोंडवाना की वीरांगनाओं के शौर्य और पराक्रम को कम आंकने का प्रयास किया जबकि रानी दुर्गावती महोबा राज्य जहां भूमिया आदिवासी राजा कीरत सिंह चंदेल का राज था जिनकी बेटी रानी दुर्गावती थी , परन्तु इतिहास में उसे दिग्भ्रमित करते हुए उनका मुस्लिम शासकों से संघर्ष को अति प्रचारित किया ताकि गोंडवाना के लोग हिंदू मुस्लिम के बीच पैदा किये जाने वाले नफरती षड्यंत्र के जाल में फंसकर कथित राष्ट्रवादियों का समय-समय पर दंगा फसाद में साथ दे सकें।
जबकि भारत की स्वतंत्रता के ऐतिहासिक संदर्भ में क्रांतिवीर राजा शंकर शाह एवं पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह को। प्रथमतया लाया जाना आवश्यक था ताकि युवा पीढ़ी को देश की स्वतंत्रता के आंदोलन में उनके वंशजों के योगदान और प्रतिफल स्वरूप भारत में अपनी हकदारी और हिस्सेदारी को सीना ठोककर हासिल करने का जज्बा पैदा होता।
ठीक ऐसे ही ऐतिहासिक कूट रचना महाराष्ट्र राज्य में क्षत्रपति शिवाजी महाराज उनके वंशजों और लोगों को मुगलों के प्रति नफ़रत का बीज बोने का प्रयास हुआ जो काफी हद तक सफल भी रहा है । परन्तु आजादी पूर्व से राजा क्षत्रपति साहूजी महाराज जिन्हें आरक्षण का जनक और शिक्षा का अग्रदूत कहा जाता है उसे ऐतिहासिक संदर्भ में लाये जाने की आवश्यकता थी परन्तु उनके वंशजों और राज्य के लोगों के बीच "वीर शिवाजी महाराज" का मुस्लिम शासकों से संघर्ष को अति प्रचारित कर जन मानस में हिन्दू मुस्लिम के बीच नफरत का बीज डालकर समय समय पर इसका लाभ लेते रहे हैं।परन्तु अधिक समय तक लोगों की आंखें बंद नहीं की जा सकती। धीरे-धीरे धुन्ध हटता जा रहा है, कथित राष्ट्रवादियों का पर्दाफाश हो रहा है। वह दिन दूर नहीं जब भारत देश में समता स्वतंत्रता बंधुत्व एवं प्रकृतिवादी न्याय पर आधारित व्यवस्था कायम होगी। तब पूंजीवादी और निजीकरण जैसी औपनिवेशिक विचार और व्यवहार करने वाले लोग धूल धूसरित होंगे।
प्रस्तुति - गुलजार सिंह मरकाम
राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन
राष्ट्रीय अध्यक्ष क्रांति जनशक्ति पार्टी
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