a                          '' गोंडवाना  संस्कृति  की  एक  झलक ''    गोंडीयन  संस्कृति  की  विशालता  को  समझने  के  लिए  हमें  वर्तमान  की  विभाजित  जाति  समूह  या  जातियों  के  रहन  सहन  , रीति  रिवाज  , परम्पराओं  का  सुक्ष्म  अध्यन  करना  होगा  ! आज  हम  भले  ही  सविधान  की  सूचि  में  अलग  अलग  वर्ग  के  रूप  में  विभाजित  हैं  , परन्तु  आज  भी  हम  सांस्कृतिक  रूप  में  एक  हैं  ! एक  उदहारण  के  साथ  समझा  जा  सकता  है  ! जैसे  कुम्हार  जाति  जो  मध्यप्रदेश  में  कुछ  जिलों  में  अनुसूचित  जाति  की  श्रेणी  में  हें  , लेकिन  बाकी  जिलों  में  पिछड़ा  वर्ग  की  सूचि  से  जुड़े  हैं  , सविधान  इन्हें  भले  ही  जातियों  के  भावात्मक  जाल  में  फसाया  हो  लेकिन  इस  जाति  ने  अपनी  पुरानी  गोंडीयन  संस्कृति  को  अब  तक  आत्मसात  करके  रखा  है  !  गोंडीयन  समाज  में  ऋतु  धर्म  / मासिक  धर्म  का  कड़ाई  से  पालन  किया  जाता  है  कुम्हार  के  घर  में  यह  स्थिति  रहने  पर  मिटटी  को  नहीं  रोंदा  जाता  ना  ही  चाक  ...