(राजनीतिक विश्लेषण)
"वायु (युवा) की ताकत किस करवट बैठेगी"
आज आदिवासी युवाओं का एक बहुत बड़ा हिस्सा सारे देश में "जीएसयू" और जयस नाम से संचालित है। जीएसयू अपने नाम के अनुरूप गोंडवाना नाम के राजनीतिक दलों को सहयोग करती दिखाई देती है, इसमें देखने लायक यह होगा कि गोंडवाना नाम की कि पार्टी के साथ होंगे, भविष्य बतायेगा।
इसी तरह आदिवासी युवाओं का एक "जयस" नाम से देश और प्रदेश में संचालित है, इनका दावा है कि हम आदिवासियों के सबसे बड़ा संगठन चलाते हैं। परन्तु जयस की राजनीतिक अवधारणा भी जयस और नेशनल जयस के रूप में विभाजित है। प्रदेश के आदिवासी समुदाय का युवा वर्ग विभाजित दिखाई देता है।जयस संगठनों की ओर देखते हैं तो वे कहीं ना कहीं मात्र विधानसभा टिकट के इर्द गिर्द घूमती दिखाई देती है । जो कथित बड़ी पार्टी टिकट देगा उसके साथ।
अब यदि मान लें कि जयस और जीएसयू का संचालन मात्र टिकट के इर्द-गिर्द है, कितने टिकट ये कथित बड़ी पार्टियां देंगी,क्या इतनी बड़ी आदिवासी युवाओं की शक्ति चंद टिकट के लिए चंद अगुवाओं के स्वार्थ में गिरवी हो जायेगी ? मप्र में २३ प्रतिशत आदिवासी समुदाय है। क्या यह ताकत आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने में सक्षम नहीं। क्या यह युवा ताकत आदिवासी मुख्यमंत्री बने ,की आवाज बुलंद नहीं कर सकता। मुझे लगता है ऐसी आवाज जयस और जीएसयू का युवा संगठन नहीं निकालेगा । कारण इन संगठनों के अगुआ जानते हैं।या हम । यदि इन संगठनों में हिम्मत हो तो बडे बड़े आयोजनों में यह घोषणा क्यों नहीं की जाती यक्ष प्रश्न है।
- गुलजार सिंह मरकाम
राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन
एवं
राष्ट्रीय अध्यक्ष क्रांति जनशक्ति पार्टी
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