"समस्या समाधान की एक अनूठी अवधारणा"
प्रत्येक राज्य में स्थापित सार्वजनिक,केंद्रीय उपक्रम या कार्यालयों में उस राज्य के आरक्षित जाति/वर्गों की जनसंख्या के अनुपात में सेवाओं में आरक्षण की व्यवस्था लागू होना चाहिए।
कारण यह है कि जिस राज्य की हवा, पानी, भूमि, पर्यावरण और अन्य संसाधन का उपयोग केंद्रीय सेवाकर्मी करते हैं, उन राज्यों में स्थानीय शिक्षित बेरोजगारों को बहुत कम अवसर प्राप्त होता है। सेवा अवसर के अतिरिक्त अन्य राज्यों की संस्कृति संस्कारों से स्थानीय राज्य की भाषा, संस्कृति और सामाजिक पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव भी पड़ता है। भाषिक समझ का अंतर भी स्थानीय अंतर्मन को प्रभावित करता है । अधिकारी कर्मचारी का अपने पैतृक राज्य का राज्यमोह भी उस राज्य के विकास के लिए लापरवाही या उदासीनता का कारण बनता है। हर कर्मचारी अधिकारी अपना सेवा निवृत्ति काल और अंतिम सांसें पैतृक राज्य जिला तहसील या ग्राम में बिताना चाहता है।
उपरोक्त कारण और निवारण अनेक मायनों में केंद्रीय सेवाओं के आफिस या सार्वजनिक उपक्रम जैसे संस्थानों की समस्याओं का समाधान के लिए कारगर उपाय साबित हो सकता है।
-गुलजार सिंह मरकाम
(GSKA)
नोट:- जो इस लेखन को समझ सके वही कमेंट करे। एक भी लाईक लेखन के महत्व को कम करेगी, इसलिए "लाईक" बिल्कुल ना करें ।
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