(भारतीय संविधान में भारत निर्वाचन आयोग में पंजीकृत कोई भी राजनीतिक दल बड़ा या छोटा नहीं होता।)
(संविधान की दृष्टि में कोई व्यक्ति बड़ा या छोटा व्यक्ति नहीं होता।)
"यह तो हमारी फितरत है कि हम उसे बडा या छोटा मान लेते हैं। किसी व्यक्ति की संपत्ति अथवा प्रचार के कथित शोहरत का मूल्यांकन करके या किसी राजनीतिक दल की कथित सदस्य संख्या देखकर।
हमारा यह मूल्यांकन का नजरिया संवैधानिक नहीं प्रचारिक है। यह बडा और छोटा मानने की मानसिक रूग्णता ने संविधान और उसकी मूल भावना को नुक्सान पहुंचाया है।
मेरी व्यक्तिगत समझ है कि व्यक्ति संपत्ति के मामले में इमानदारी से अर्जित धन और चरित्र से बड़ा माना जाय।
इसी तरह राजनीतिक दल भी फर्जी सदस्यता करके नहीं, संविधान की मूल भावनाओं की अपेक्षा का चारित्रिक व्यवहार करके बड़ा होने की दावा करें तो कुछ हद में ठीक है।
"सत्तायें यदि संविधान की नीति सम्मत चले तो जनता सुखी रहेगी।
सत्तायें यदि संविधान को अपने दलीय चरित्र के अनुसार चलायेंगे तो जनता दुखी रहेगी।"
गुलजार सिंह मरकाम
(GSKA)
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