किसी धर्म की आधारशिला जितना व्यापक और सार्वभौम होगा वह उतना ही विस्तार करेगा।"-गुलजार सिंह मरकाम
1.दुनिया का हर तीसरा व्यक्ति ईसाई है।
2.दुनिया का हर पांचवा इंसान मुस्लिम है।
3.वहीं बौद्ध का विस्तार गिनती के देशों में है।
4.हिन्दू ,सिख,जैन केवल भारत में सिमट गये।
5.वहीं सरना, गोंडी , कुछ राज्य तक।
6.सरना भी संथाल, उरांव मुडा माझी के इर्द-गिर्द घूम रहा है।
7.वहीं गोंडी धर्म गोंड जाति की पहचान बन कर रह गई है।
"आखिर क्यों"........….?
धर्म और धर्म के ठेकेदारों को इस पर चिंतन करना होगा, कहां चूक हो रही है। क्रियाकलाप में या व्यापक सोच की आधारशिला में।
-क्या आदिवासी समुदाय "ट्राईबल रिलीजन" मानकर कम से कम भारत देश तक विस्तार क्यों नहीं कर सकता ?
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