"समझ में ही समझदारी है।"
काली गोरों को काट रही है।
गोरी कालों को नाश रही है ।।
फिर श्यामल सूरत वाला ही।
जो नाग कालिया नाथ रहा है।।१।।
विद्वान हैं कुछ इस भारत में ।
कहते गोरा है कपट भरा ।।
फिर अपने घर क्यों पाल रहे।
मनु की बेटी घट जहर भरा।।२।।
शिव शंभू इनसे छले गये ।
अम्बेडकर के भी प्राण गये।।
अब और भरोशा कैसे हो।
विष का घट जब घर पर हो।।३।।
और नहीं अब और नहीं।
ऐसी करतूतें क्षमा नहीं।
जो बीत गया इनसे सीखो।
वरना ऐसे विद्वानों खैर नहीं।।४।।
-गुलजार सिंह मरकाम (gska)
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