"औद्धौगिक संस्थानो स्वरोजगार के तहत छोटे कलकारखानों के उदयमी और कामगारों को 17 सितंबर विश्वकर्मा जयन्ति की हार्दिक शुभकामना ।
गोंडियन समुदाय का अभिन्न अंग अगरिया ,जिन्हे आज विष्वकर्मा केनाम से जाना जाता है जिन्होनें सबसे पहले लोहे का अविष्कार करके दुनिया को लोहे से परिचित कराया । लोहे के अविष्कारक "अगरिया समूह" ने आधुनिक शिक्षा के पूर्व से ही लोहे के पत्थरों की खोज कर उन्हें अपने हाथों द्वारा विशेष स्वनिर्मित भटटयिों में गलाकर लोहा तैयार कर देवी देवताओं के प्रतीक चिन्ह लडाई और धरेलू कार्य के औजार बनाने का कार्य करते रहे जो आज भी जारी है । महत्वपूर्ण भुमका समूह में "लोहासुर" के नाम से विख्यात यह पुरातन समुदाय जिसके इस पुरातन ज्ञान को और इस ज्ञान के अविष्कारकों को जो स्थान दिया जाना चाहिये था नहीं मिल सका है ,आज वे देश के विभिन्न हिस्सों में रहकर कहीं अनुसूचित जनजाति के रूप में तो कहीं पिछडावर्ग तो कहीं घुमक्कड जाति के रूप में जाने जाते हैं । गोंडियन व्यवस्था में इनका विषेश् महत्व है विवाह की अंगूठी से लेकर देवताओं के प्रतीक चिन्ह और विषेश अवसरों पर विषेश रीति से बनाये गये कीलों से मूसलk लकडी के मापक यंत्र तथा दरवाजेk चैाखट पर लगाने की परंपरा यदा कदा आज भी जीवित है । गोंडियन व्यवस्था और भारतीय समाज को दिया इनका अनुपम उपहार सदैव अविस्मृणीय रहेगा ।
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