"देश में अंग्रजो के जमाने की पुलिस ट्रेनिंग टेक्निक बदलने की आवश्यकता है "
आजाद कहे जाने वाले हमारे देश में स्वदेशी पुलिस भी यदि अपनी जनता के प्रति उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर सत्ताधीशों के इशारे पर गोली चालन और लाठीचार्ज करे तो उसे देश भक्ति नहीं राजभक्ति कहेंगे । गहराई से यदि सोच विचार करें तो यह उनकी गल्ति नहीं गल्ति हमारे देश के सत्ताधीशों की है जिन्होने आजादी के बाद पुलिस ट्रेनिंग का नया सिलेबस और तकनीक नहीं तैयार कराया अंग्रेजों के द्वारा तैयार सिलेबस के आधार पर उसी मानसिकता के जवान तैयार किया जा रहा है उनको केवल सत्ताधीशों का आर्डर मानना है भले ही आम जनता का प्रदर्शन जनहित के लिये किया गया प्रयास हो । और तो और आम नागरिको द्वारा यह भी कहते सुना है कि पुलिस वाला अपने बाप का सगा नहीं होता आखिर क्यों । यह सब अंग्रेजी सिलेबस का प्रभाव है । इस ट्रेनिग को आजादी के बाद बंद करके देश और देशवासियों के प्रति भक्ति की भावना पैदा करने वाले ट्रेनिग सिलेबस की जरूरत है । “अंग्रेजों को केवल दमन और दहसत पैदा करने वाले पुलिस की आवश्यकता थी उनके राज में उनके सिद्धांतो के लिये एैसा करना हितकर था” पर आज तो देश में अंग्रेजी राज नहीं देशी राज है तब भी पुलिस का रवैया अंगेजो की भांति रहे तो उस तरफ हमारा ध्यान अवष्य जाना चाहिये । जिस तरह लार्ड मैकाले ने हमारे देश में शिक्षा पद्धति लागू कर केवल बाबू गिरी के स्तर की बुद्धि विकसित करने का सिलेबस रख था जो आज भी ग्रामीण भारत में शासकीय विदयायलयों में देखने को मिलता है । इस शिक्षनीति के चलते हमारे देश ने आज तक कोई बडा अविष्कार या श्रेष्ठता सिद्ध नहीं की । ये सब अंग्रेजों की भारत पर शासन करने की प्रायोजित नीति का परिणाम थे, पुलिस द्वारा बर्बता भी अंग्रेजो की प्रयोजित नीति का परिणाम है,इसे तुरंत बंद किया जाना देश और समाज हित में होगा । -gulzar singh markam
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