"चमचागिरी दर्शन,कोरी ताकत का भ्रम"
एक उंचे और मजबूत पेड के तने के इर्द गिर्द चिपक कर कमजोर लता बेली पेड की उंचाई तक चला जाता है और उसे भ्रम हो जाता है कि पेड की ताकत को सम्मान देने वाले मेरी उचाई का भी सम्मान कर रहे हैं । परन्तु उस लता बेली को इतना याद रखना चाहिये कि जिस दिन मजबूत तने से हटेगा तो उसकी ताकत और उंचाई कुछ भी नहीं होगी ।
"समाज और राजनीति "
"राजनीति, राजनेताओं और राजनीतिक दलों पर समाज का अन्कुश नहीं होने से राजनेता बेलगाम होकर सन्विधान की नीति और नियमो को ताक मे रखकर व्यक्तिगत नीतियों और नियमों को मनमानी ढन्ग से समाज पर थोपने लगता है । इन सबके चलते स्वस्थ प्रजातन्त्र की कल्पना मात्र की जा सकती है।"
"सन्गठन और सन्विधान"
-किसी सन्गठन की रीढ उसका सन्विधान होता है। जो सन्गठन अपने सविधान के उद्देश्यो नियमो के अनुसार नहीं चलते एैसे सन्गठन कभी भी सफल नहीं होते ! ऐसे सन्गठन व्यक्तिवाद के शिकार हो जाते हैं।
Comments
Post a Comment