आज राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी समुदाय के "कामन इशू" पर कुछ चर्चा होने लगी है, आदिवासी को रिझाने के लिए, राष्ट्रपति, राज्यपाल जैसे पदों का झुनझुना भी पकड़ाया जाने लगा है,मप्र तो और भी आगे जाकर आदिवासी महिलाओं को प्रति माह १००० की सौगात तक देने की बात कर बैठी, सभी जानते हैं कि यह क्यों, मेरा मानना है कि यह आदिवासियों के अलग अलग हो रहे क्षेत्रीय आंदोलनों का प्रतिफल है। यदि प्रदेश नहीं राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी एकजुट होकर आंदोलन कर लें तो इसके क्या परिणाम हो सकते हैं। सबको स्वयं समझना और समाज को समझाने की जरूरत है।
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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