"भाषा काल और शब्द विवेचना "
आदिवासी समुदाय में तिवारी लाल मार्को,हो या दुबे सिंह मार्को नाम या झाड़ू लाल मरकाम इनके मां बाप या समुदाय के लोग इन शब्दों का मारना भी समझते रहे होंगे, या ऐसे शब्द धारक बामन समुदाय का ऐसे भूभाग में प्रवेश भी नहीं हुआ होगा तभी तो इन शब्दों का इस्तेमाल हुआ, अन्यथा कोई समुदाय अन्यों के सर्नेम का उपयोग अपने बच्चों के नाम पर कैसे कर सकते थे, ठीक इसी तरह झाड़ू हिंदी भाषा का शब्द है जिसे सफाई के लिए उपयोग किया जाता है, इसका मतलब है कि ऐसे क्षेत्रों में हिंदी का प्रसार नहीं हुआ था ऐसे क्षेत्रों के लोग यदि झाड़ू को सफाई औजार समझते तो उस समय की गोंडी भाषा में "कैसार" शब्द पर नामकरण करते! जबकि कैसार नाम पर भी नामकरण होता रहा है जो जानकारी होने के बाद भी रखा जाता था। इस विषय पर विचार रखे का यह मतलब है कि कौन सी भाषा कब कहां पहुंची इसका अनुमान लगाया जा सके।- गुलजार सिंह मरकाम (गोंसक्रांआं)
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