"असली और प्रयोजित मुद्दे को पहचानो"
में एक बार पुनः लिख रहा हूं, भारत में कांग्रेस भाजपा के अतिरिक्त मूलनिवासियों के नेतृत्व में "तीसरी शक्ति" का निर्माण ना हो जाए इसे रोकने के लिए मरते हुए कांग्रेस को जीवनदान देने के लिए प्रयोजित तरीके से "राहुल गांधी" को प्रचारित करने के लिए सारा खेल चल रहा है, एक ओर मूलनिवासियों की पार्टियां ईवीएम, पिछड़े वर्ग की जनगणना, बेरोजगारी, कालेजियम, मंहगाई, आरक्षण कोटा, किसानों की समस्या, बैंकों से डकैती, निजीकरण आदि विषयों पर जनता का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रही हैं,सदन में इन मुद्दों को उठाने का प्रयास करती हैं, तब सदन के महत्वपूर्ण और मंहगे समय को फालतू और व्यक्तिगत बातों (राहुल प्रकरण) को लाकर सदन का समय बर्बाद कर रहे हैं। कारण भी है कि भाजपा को और भी मजबूत करने के लिए कांग्रेस के द्वारा मूलनिवासियों की खासकर अनु.जाति/जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ मतदाताओं को अपने आसपास बनाये रखना चाहती है ताकि भाजपा को 2024 में संविधान बदलने लायक बहुमत दिला सके। जबकि भाजपा के सांसद और अतिवादी समर्थक बार बार इस बात का संकेत दे रहे हैं, क्या यह मुद्दा "राहुल प्रकरण" से बड़ा और खतरनाक नहीं ? जरा सोचें हमें क्या करना जरूरी है।
- गुलजार सिंह मरकाम (अध्यक्ष क्रांति जनशक्ति पार्टी)
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