"गोदी मीडिया बनाम गोदी पार्टियां "
सर्व विदित है भारत में सरकार की गोद में बैठकर गोदी मीडिया करोड़ों का विज्ञापन ले रही है, पैसा लेकर सरकार की चाटुकारिता की सभी हदें तोड़ चुके हैं। राजतंत्र के जमाने में राजा अपने राजकाज की बडाई या यशोगान के लिए "भाट" रखते थे जिनका खर्चा राजा उठाता था। आज लोकतंत्र है सरकार जनता के पैसे से चलती है मीडिया का किसी सरकार की भाटगिरी करने अधिकार नहीं सरकार के अच्छे बुरे काम को जनता के बीच लाने की जिम्मेदारी है। हमारे लोकतंत्र में आजकल गोदी मीडिया की तरह गोदी प्रत्याशी या गोदी पार्टियों का ट्रेंड चल निकला है, गोदी पार्टियां किसी खास पार्टी को लाभ दिलाने के लिए खास पार्टी से सहयोग लेकर चुनाव मैदान में उतरती है। जीतना उसका मकसद नहीं होता,खास प्रत्याशी को जिताने लायक वोट काटना होता है। ऐसा ट्रेंड भारतीय लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक साबित होगा। लोकतंत्र पैसे के इर्दगिर्द खड़ा होकर गोदी पार्टियों को गोद में लेकर लोकतंत्र का का गला घोंटने का काम करेंगी। - गुलजार सिंह मरकाम
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