"देश का आदिवासी यदि अपने धर्म को सुरक्षित नहीं किया तो उसे धर्मांतरण से कोई नहीं रोक पायेगा ।"
अनेक धर्म की दूकानें उन्हें धर्मांतरित करने में जुटी हैं । आज लाखों लोग धर्मांतरित होकर अपने धार्मिक आकाओं के इशारे पर अपनी मूल परंपरा मूल से धर्म हट चुके हैं । जनगणना 2018 में अपने धर्म संख्या बल को प्रदर्शित करना होगा ।
हमारा संविधान धर्मनिर्पेक्ष है सभी धर्मों को फलने फूलने का अवसर देता है सभी धर्म के लोग अपने धर्म के विस्तार में लगे रहते हैं तब आदिवासियों को भी अपने धर्म के प्रति जागरूक करना आवश्यक है । यह समुदाय की बडी ताकत का सबब है , धर्म यदि महत्वपूर्ण नहीं होता तो महामानव डा0 अम्बेडकर धर्मांतरण नहीं करते ।यदि अन्य बिन्दुओं पर विकास के साथ इस विषय पर ध्यान नहीं दिये और कहते रहे कि हम धर्म पूर्वी हैं हमें धर्म की आवश्यकता नहीं आदि आदि तो सब कुछ मिट चुका होगा जिस तरह अन्य देशों के आदिवासी इसाई मुस्लिम बनकर अनास काल पूर्वी धर्म से विलग हो चुके ।
आदिवासी दार्शनिक नकल से परे है और प्रकृतिमूलक बना हुआ है । इसलिये सभी लोग इसे आसानी से धर्मांतरित कर लेते हैं । इसी कारण से आज वह सभी समुदायों से भौतिक विकास में पीछे है ,हर तरह से उसका शोषण हो रहा है । धार्मिक मामले में आदिवासी कहीं ना कहीं संविधानिक मामले में भी छला गया है । संविधान में उसको अपने मूल धर्म से भटक जाने के लिये खुला दरवाजा छोड दिया कि तुम कहीं भी किसी भी धम्र को अपना लो तुम्हारे संवैधानिक के तहत मिलने वाली विशेष सुविधायें बरकरार रहेंगी अनय वर्ग यदि धर्मांतरण करे तो उसकी संवैधानिक सुविधायें स्वत समाप्त हो जाती हैं आखिर क्यों । यही कारण है कि धर्मांतरण की मार सबसे ज्यादा आदिवासी झेल रहा है ।
अनेक धर्म की दूकानें उन्हें धर्मांतरित करने में जुटी हैं । आज लाखों लोग धर्मांतरित होकर अपने धार्मिक आकाओं के इशारे पर अपनी मूल परंपरा मूल से धर्म हट चुके हैं । जनगणना 2018 में अपने धर्म संख्या बल को प्रदर्शित करना होगा ।
हमारा संविधान धर्मनिर्पेक्ष है सभी धर्मों को फलने फूलने का अवसर देता है सभी धर्म के लोग अपने धर्म के विस्तार में लगे रहते हैं तब आदिवासियों को भी अपने धर्म के प्रति जागरूक करना आवश्यक है । यह समुदाय की बडी ताकत का सबब है , धर्म यदि महत्वपूर्ण नहीं होता तो महामानव डा0 अम्बेडकर धर्मांतरण नहीं करते ।यदि अन्य बिन्दुओं पर विकास के साथ इस विषय पर ध्यान नहीं दिये और कहते रहे कि हम धर्म पूर्वी हैं हमें धर्म की आवश्यकता नहीं आदि आदि तो सब कुछ मिट चुका होगा जिस तरह अन्य देशों के आदिवासी इसाई मुस्लिम बनकर अनास काल पूर्वी धर्म से विलग हो चुके ।
आदिवासी दार्शनिक नकल से परे है और प्रकृतिमूलक बना हुआ है । इसलिये सभी लोग इसे आसानी से धर्मांतरित कर लेते हैं । इसी कारण से आज वह सभी समुदायों से भौतिक विकास में पीछे है ,हर तरह से उसका शोषण हो रहा है । धार्मिक मामले में आदिवासी कहीं ना कहीं संविधानिक मामले में भी छला गया है । संविधान में उसको अपने मूल धर्म से भटक जाने के लिये खुला दरवाजा छोड दिया कि तुम कहीं भी किसी भी धम्र को अपना लो तुम्हारे संवैधानिक के तहत मिलने वाली विशेष सुविधायें बरकरार रहेंगी अनय वर्ग यदि धर्मांतरण करे तो उसकी संवैधानिक सुविधायें स्वत समाप्त हो जाती हैं आखिर क्यों । यही कारण है कि धर्मांतरण की मार सबसे ज्यादा आदिवासी झेल रहा है ।
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