देश में अब तक जितने भी राष्ट्रपति हुए हैं उन्होने सरकारी खजाने से तन्ख्वाह ली है भले ही वह राशि एक रूपया ही क्यों ना हो । बाकी सब राष्ट्रपति के द्वारा देश के मालिकों की बेहतरी के लिये लिये बनाई गई व्यवस्था है जिसे कार्यपालिका व्यवस्थापिका और न्यायपालिका कहा जाता है । इन सब नौकरों को देष की धरती से उत्पन्न राजस्व जो विभिन्न स्त्रोत जैसे खनिज आयकर और अन्य स्त्रोत से सरकारी खजाने में आता है । उस आय से उनके जीवन यापन के लिये भारत सरकार के खजाने से तनख्वाह दी जाती है । ताकि वे भारत सरकार जिसे इस देश का मालिक कहा जाता है । उसके हित में अच्छी सर्विस दे सकें ।
देश में अब तक जितने भी राष्ट्रपति हुए हैं उन्होने सरकारी खजाने से तन्ख्वाह ली है भले ही वह राशि एक रूपया ही क्यों ना हो । बाकी सब राष्ट्रपति के द्वारा देश के मालिकों की बेहतरी के लिये लिये बनाई गई व्यवस्था है जिसे कार्यपालिका व्यवस्थापिका और न्यायपालिका कहा जाता है । इन सब नौकरों को देष की धरती से उत्पन्न राजस्व जो विभिन्न स्त्रोत जैसे खनिज आयकर और अन्य स्त्रोत से सरकारी खजाने में आता है । उस आय से उनके जीवन यापन के लिये भारत सरकार के खजाने से तनख्वाह दी जाती है । ताकि वे भारत सरकार जिसे इस देश का मालिक कहा जाता है । उसके हित में अच्छी सर्विस दे सकें ।
Comments
Post a Comment