"हम गोंड हैं , हमारा पुनेम गोंडी है ,हमारी जन्मभूमि गोंडवाना है ।" - डा0 मोती रावन कंगाली (महाराष्ट्र)
"1956 में भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ, गोंडी भाषा के आधार पर गोंडवाना राज्य क्यों नहीं बनाया गया ।" -शीतल मरकाम (महाराष्ट्र)
"जिस मां का दूध पिया ,जिस समाज का खून तुम्हारी नसों में दौड रहा है ,जिस समाज ने तुम्हें गोदी में खिलाया रोटी और बेटी दिया उस समाज के तुम कर्जदार हो ।" - प्रथम गोंडी धर्म प्रवाचक दादा वरकडे (छ0ग0) ।
"साहित्य समाज का दर्पण है तो संस्कृति उसका चश्मा है ।"- सुन्हेर सिह ताराम (म0प्र0)
"जो व्यापार करेगा वही राज करेगा ।"- हीरा सिंह मरकाम (छ0ग0)
"भाषा ,धर्म ,संस्कृति को पकड कर रखो ,जकड कर रखो लेकिन वर्तमान में जियो।" -गुलजार सिंह मरकाम (म0प्र0)
नोट :- गोंडवाना आन्दोलन के मौलिक विचारवान लोगों के मौलिक विचारों का संकलन कर उन पर अमल करने का प्रयास किया जाय । इस तरह के बहुत से विचारको के मौलिक विचार गोंडवाना आन्दोंलन की सफलता में सहायक होंगे संकलित किया जाना चाहिये ।
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