भील समुदाय में एकलव्य के अगूठे की दक्षिणा देने के अपनी धारणा बना लिया कि अब हमारा अगूठा नहीं रहा, अब हम इसका उपयोग नहीं करेंगे । पूर्व काल से ही इनकी योग्यता को कमजोर करने के लिए शडयन्त्र रचा गया जिसके तहत उनके बीच प्रचारित किया गया कि अब तुम्हारा अगूठा काम नही करेगा । एकलव्य के अगूठे के साथ ही धनुष बाण मे उपयोग आने वाला तुम्हारा अगूठा कमजोर हो गया है । इस धारणा ने धीरे धीरे धनुष बाण मे उपयोग आने वाले अगूठे का उपयोग वर्जित कर दिया । शडयन्त्रकारी इन भीलो की तीर कमान की निपुणता, योग्यता, क्षमता से परिचित था वह जानता था कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो इस समुदाय में एकलव्य से भी बढ़कर धनुर्धर निकल सकते हैं जो भविष्य में हमारे लिए कष्टदायी हो सकते हैं ।हो सकता है भील समुदाय ने अगूठे का जबसे उपयोग बन्द किया हो जिससे अपने आप में सामरिक कमजोरी महसूस हुई हो तो उसकी पूर्ति के लिये "गोफन/गुफान " का आविष्कार किया हो । जो भी हो पर आज यह समुदाय गोफन अस्त्र चलाने में अग्रणी है । यानी अपनी सामरिक योग्यता क्षमता को विकसित करने में आज भी सक्षम है । इस समुदाय को अगूठा कटने और उसका उपयोग नहीं करने की धारणा से मुक्त होने की आवश्यकता है । शडयन्त्र की कथित अभिशप्ति को अन्कित मानस पटल से मिटाना होगा । एकलव्य की तरह अनेक धनुर्धर पैदा कर विश्व प्रतियोगिता में अपनी योग्यता दिखाना है ।( नोट:-साथियों प्रस्तुत विचार लेखक के अपने निजी हैं इस विषय पर किसी को आपत्ति हो तो व्यक्तिगत सुझाव से अनुगृहीत करें )-gsmarham
भील समुदाय में एकलव्य के अगूठे की दक्षिणा देने के अपनी धारणा बना लिया कि अब हमारा अगूठा नहीं रहा, अब हम इसका उपयोग नहीं करेंगे । पूर्व काल से ही इनकी योग्यता को कमजोर करने के लिए शडयन्त्र रचा गया जिसके तहत उनके बीच प्रचारित किया गया कि अब तुम्हारा अगूठा काम नही करेगा । एकलव्य के अगूठे के साथ ही धनुष बाण मे उपयोग आने वाला तुम्हारा अगूठा कमजोर हो गया है । इस धारणा ने धीरे धीरे धनुष बाण मे उपयोग आने वाले अगूठे का उपयोग वर्जित कर दिया । शडयन्त्रकारी इन भीलो की तीर कमान की निपुणता, योग्यता, क्षमता से परिचित था वह जानता था कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो इस समुदाय में एकलव्य से भी बढ़कर धनुर्धर निकल सकते हैं जो भविष्य में हमारे लिए कष्टदायी हो सकते हैं ।हो सकता है भील समुदाय ने अगूठे का जबसे उपयोग बन्द किया हो जिससे अपने आप में सामरिक कमजोरी महसूस हुई हो तो उसकी पूर्ति के लिये "गोफन/गुफान " का आविष्कार किया हो । जो भी हो पर आज यह समुदाय गोफन अस्त्र चलाने में अग्रणी है । यानी अपनी सामरिक योग्यता क्षमता को विकसित करने में आज भी सक्षम है । इस समुदाय को अगूठा कटने और उसका उपयोग नहीं करने की धारणा से मुक्त होने की आवश्यकता है । शडयन्त्र की कथित अभिशप्ति को अन्कित मानस पटल से मिटाना होगा । एकलव्य की तरह अनेक धनुर्धर पैदा कर विश्व प्रतियोगिता में अपनी योग्यता दिखाना है ।( नोट:-साथियों प्रस्तुत विचार लेखक के अपने निजी हैं इस विषय पर किसी को आपत्ति हो तो व्यक्तिगत सुझाव से अनुगृहीत करें )-gsmarham
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