-संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व के आदिवासी जनों के लिये इस दिवस की घोषणा क्यों की ? इनकी जीवन शैली ,भाषा ,धर्म ,संस्कृति और पर्यावर्णीय ज्ञान को सुरक्षित रखने हेतु विश्व के सभी सदस्य देशों से क्यों आग्रह किया ? कभी आदिवासियों ने इस विषय पर चिंतन किया ? साथियों संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व के अधिकांश देशों का विश्वस्तरीय एक शक्शिाली संगठन है ,जो विभिन्न देशों के आपसी विवाद को निपटाने और सुलह करने के लिये बनाई गई है, ताकि कोई देश किसी पर अकारण आक्रमण ना करे उसका शोषण ना करे । मानवीय हित में इसके द्वारा अनेक नियम और कानून बनाये गये हैं, जिन्हे मानना सदस्य राष्ट्रों की मजबूरी है अन्यथा संयुक्त राष्ट्र संघ की सेना उसे सबक सिखाने के लिये सदैव तैयार रहती है । संयुक्त राष्ट्र संघ की सैन्य ताकत उसकी स्वयं की सेना है जो सदस्य देशों के सैनिको से बनी है । ,आर्थिक सहायता के लिये विश्व बैंक ,शिक्षा ,स्वास्थ्य आदि के लिये सहायता की शाखायें है ! दुनिया में अनेक विकसित समुदाय हैं पर उनके नाम पर विश्व स्तर पर कोई महत्वपूर्ण दिवस क्यों नहीं, क्या कारण है कि विश्व के आदिवासियों की जीवन पद्धति उनकी भाषा धर्म संस्कृति और इनके पर्यावर्णीय ज्ञान को सुरक्षित रखने के लिये 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में चिन्हित किया गया ? संयुक्त राष्ट्र संघ आदिवासियों के प्रति इतना चिंतित नहीं बल्कि दुनिया में इंसान के नष्ट होने के प्रति चिंतित है । कारण कि इंसान ने विकास के नाम पर प्राकृतिक पर्यावरण और सामाजिक पर्यावरण को इतना दूषित कर दिया है कि पर्यावरण के साथ साथ इंसानियत भी खतरे में आ गई है । जिसे दुनिया में केवल आदिवासी की जीवन पद्धति और उसका पर्यावर्णीय ज्ञान ही बचा सकता है । इसलिये आदिवासी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है । इसलिये आदिवासी समुदाय की जिम्मेदारी बनती है कि अपने मूल ज्ञान को तथा अपनी भाषा धर्म संस्कृति को सुरक्षित और संरक्षित करे । जिसमें स्वयं के साथ साथ दुनिया को भी बचाया जा सके । जय सेवा जय जोहार जय प्रकृतिवाद । -gsmarkam
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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