गोन्डवाना के समस्त आदिवासी भाइयों ध्यान दें, यूएनओ आदिवासी का जो भी मतलब निकालता हो, हमारे देश के बुद्धिजीवि इसका मतलब जो भी निकालते हो , पर यूएनओ की परिभाषा में आने वाले सभी जाति और समुदाय के लिए यह दिवस है, यूएनओ का मकसद केवल यह है कि, जिन लोगों ने इन्सानी अग्रज होने का आज तक अगुआई किया है,जो आज भी इन इन्सानी मूल्यों को बचाकर रखे हैं, ये सब आदिवासी या इन्डीजीनियस हैं । ९ अगस्त इन्सानियत की नीव रखने वाले इन्सानो के सम्मान का दिवस है , इसे किसी देश के सन्विधान की सूची में जनजातियों के रूप में लिस्टेड करने से नहीं है । सूचि हमें भ्रमित करती है। सूचि में शामिल हो गया तो वह हमारा भाई हो गया , सूचि से बाहर हो गया तो वह हमारा भाई नहीं रहा, यह कैसा प्राकृतिक न्याय है जरा सोचो ! सन्कीर्ण मानसिकता हमारा नुकसान करेगी। प्रक्रतिवादियो का ह्रदय विशाल होना चाहिए , दुनिया को इन्सानी मार्गदर्शन देने वाले को उतना हीं बड़ा दिल और दिमाग लेकर चलना चाहिए ,जय सेवा जय जोहार जय गोडवाना -gsmarkam
गोन्डवाना के समस्त आदिवासी भाइयों ध्यान दें, यूएनओ आदिवासी का जो भी मतलब निकालता हो, हमारे देश के बुद्धिजीवि इसका मतलब जो भी निकालते हो , पर यूएनओ की परिभाषा में आने वाले सभी जाति और समुदाय के लिए यह दिवस है, यूएनओ का मकसद केवल यह है कि, जिन लोगों ने इन्सानी अग्रज होने का आज तक अगुआई किया है,जो आज भी इन इन्सानी मूल्यों को बचाकर रखे हैं, ये सब आदिवासी या इन्डीजीनियस हैं । ९ अगस्त इन्सानियत की नीव रखने वाले इन्सानो के सम्मान का दिवस है , इसे किसी देश के सन्विधान की सूची में जनजातियों के रूप में लिस्टेड करने से नहीं है । सूचि हमें भ्रमित करती है। सूचि में शामिल हो गया तो वह हमारा भाई हो गया , सूचि से बाहर हो गया तो वह हमारा भाई नहीं रहा, यह कैसा प्राकृतिक न्याय है जरा सोचो ! सन्कीर्ण मानसिकता हमारा नुकसान करेगी। प्रक्रतिवादियो का ह्रदय विशाल होना चाहिए , दुनिया को इन्सानी मार्गदर्शन देने वाले को उतना हीं बड़ा दिल और दिमाग लेकर चलना चाहिए ,जय सेवा जय जोहार जय गोडवाना -gsmarkam
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