“एट्रोसिटी एक्ट और आरक्छित समुदाय”
अनु०जाति/जनजाति वर्ग के पढे लिखा व हर जागरूक व्यक्ति यह समझ ले कि , सरकार के अनु०जाति/जनजाति विरोधी प्रमोशन मे आरच्छण समाप्त करने की नीति पर समाज की ओर से ना ही कर्मचारियों की ओर से कोई बडा आन्दोलन हुआ ! परिणामस्वरूप यह अधिकार बहुत से राज्यों में छिन गया बाकी राज्यों में छिनने की तैयारी में है । सत्ताधारी हमारी कमजोरी को समझ गया है , इसलिये यदि एट्रोसिटी एक्ट पर हम राष्ट्रव्यापी आन्दोलन नहीं खडा कर सके ? सजगता का परिचय नहीं दिये तो संशोधित कानून के बाद सत्ता का कहर अतिवादियों के माध्यम से समुदाय पर बरपेगा , इसका पहला निशाना शासकीय कर्मचारी होगा । शासकीय सेवक रोजी रोटी और आत्म सुरक्छा या सुविधा खोने के भय से सत्ताधारियों का गुलाम हो जायेगा । इस वर्ग को गुलाम बनाने के बाद इस वर्ग के राजनीतिक प्रतिनिधियों पर शिकंजा कसा जायेगा इनके माधयम से संविधान बदलने की कोशिष होगी । कारण भी है कि संविधान बदलने के लिये अारक्छित वर्ग के ११९ सांसदों की संख्या को साथ लिये बिना आवश्यक बहुमत संभव नहीं है । इसलिये हमारे बुद्धिजीवी इतने कमजोर ना हो जायें कि हमारे समुदाय का आम नागरिक, माता-बहने अतिवादियों का आसानी से शिकार हो जायें । याद रखें एट्रोसिटी एक्ट के वर्तमान शख्त नियम के बावजूद समुदाय अन्याय-अत्याचार और बलात्कार जैसी घटनाओं का शिकार होता है , तब कानून के शिथिल होने पर इसका अंजाम क्या होगा स्वयं ही चिंतन करें । इस परीक्छा की घडी में आरक्छित वर्ग एकजुटता का परिचय देकर संभावित खतरे का मुंहतोड जवाब दे । -gsmarkam
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