"आदिवासियों के पास पांचवी अनुसूची के अधिकार है,पर शक्ति राजपाल के पास गिरवी है" पांचवी अनुसूची में आदिवासियों के अधिकार सुरक्षित हैं , पर आदिवासियों को अधिकार प्राप्त करने की शक्ति से वंचित किया गया है । यही कारण है कि बिना शक्ति के आदिवासी पांचवी अनुसूची के प्रावधानों के होते हुए भी अपने अधिकार प्राप्त नहीं कर पा रहा है उसे पैसा नाम का झुनझुना पकड़ा कर पांचवी अनुसूची के संशोधन पेसा कानून में पंचायती राज व्यवस्था लागू करके रूढी पंचायत की जगह ग्राम सभा को अधिकार संपन्न बनाया ग या है । पांचवी अनुसूची की सारी शक्तियां राज्यपाल पर केंद्रीय कर दी गई हैं उसके बिना पांचवी अनुसूची के लागू होते हुए भी आदिवासी अधिकार संपन्न तो है लेकिन शक्तियों की कमी के कारण अपने अधिकार हासिल करने में अक्षम है। राज्य की TAC भी राज्यपाल के आदिवासियों के हित में लिए जाने वाले निर्णय और विषय का इंतजार करती है, यहां पर टीएसी भी राज्यपाल के विवेक के अधीन है। अर्थात आदिवासी के पास अधिकार तो है,पर उस अधिकार को हासिल करने की शक्ति राज्यपाल के विवेक के अधीन गिरवी है है । हमारा दबाव राज्यपाल पर हो । हमारी क...