गोंडवाना की प्रकृतिवादी विचारधारा आज भारत के प्रत्येक राज्य में समुदाय के बीच अपनी कुछ ना कुछ जगह बनाने में सफल हुआ है
"गोंडवाना आंदोलन के चिंतक विचारक और संगठकों को समाज में राजनीतिक समझ विकसित करना होगा ।"
गोंडवाना की प्रकृतिवादी विचारधारा आज भारत के प्रत्येक राज्य में समुदाय के बीच अपनी कुछ ना कुछ जगह बनाने में सफल हुआ है । जिसमें गोंडवाना आंदोलन से जुडे चिंतक विचारक और संगठको का बहुमूल्य योगदान है । बुद्धिजीवि लगातार गोंडवाना की विचारधारा को बढाने में संलग्न हैं । विचारधारा को बढाने के लिये गोंड गोंडी गोंडवाना के साथ साथ गोंडवाना के आदिवासियों को लेकर अनेक आदिवासी सामाजिक धार्मिक संगठन शैक्षिक संगठनों का निर्माण हुआ है जो अपने अपने स्तर पर गोंडवाना के समस्त आदिवासियों के समग्र उत्थान के लिये कार्यरत हैं । देश के विभिन्न हिस्सों में समुदाय के नाम पर जनचेतना का काम तो जारी है । परन्तु गोंडवाना भूभाग का आदिवासी इस समुदाय में राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक समझ विकसित करने में अभी सफल नहीं हो पाया है । कुछ राज्यों में जैसे झारखंड राज्य के इन सामाजिक घार्मिक संगठनों ने झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के माध्यम से समाज में राजनीतिक समझ विकसित करने का प्रयास किया जिसके परिणामस्वरूप आंशिक सफलता प्राप्त करने में सफल हुए हैं । इसी तरह आदिवासी जनचेतना ने पश्चिम क्षेत्र में भी समाज में राजनीतिक समझ पैदा करके भारतीय ट्रायबल पार्टी के नाम पर आंशिक राजनीतिक सफलता हासिल की है । गोंड गोंडी गोंडवाना को लेकर भारत के दक्षिणी हिस्से में समाज में सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक चेतना तो आई है लेकिन ठोस राजनीतिक समझ विकसित नहीं होने के कारण समाज इस भाग में निवासरत समाज गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को सफलता नहीं दिला सका है । हो सकता है राजनीतिक संगठन में कुछ कमजोरिया हों । जैसे झारखण्ड मुक्ति मोर्चा में भी कुछ कमजोरियां हैं पर समाज में राजनीतिक समझ होने के कारण पार्टी ने अपनी साख को बरकरार रखा है । गोंड गोंडी गोंडवाना और आदिवासी नाम को लेकर इस विशाल भाग में अनेक संगठन है। ं लेकिन समाज में स्वतंत्र राजनीतिक समझ विकसित करने की बजाय स्वार्थ और लालच में गैर आदिवासी नेतृत्व वाले राजनीतिक दलों के प्रति समाज का भरोशा दिलाने का काम काम किया जाता है । इसका सीधा मतलब है कि समाज तो अपनी ताकत को समझता है लेकिन एैसे सामाजिक संगठनों को स्वयं की ताकत पर भरोशा नहीं । या निजि स्वार्थ के कारण समाज की शक्ति को गिरवी रखना चाहते हैं । इसलिये गोंडवाना आंदोलन की समझ रखने वाले चिंतक विचारको और संगठको से अनुरोध है कि समाज में राजनीतिक समझ विकसित कर गोंडवाना के इस विशाल दक्षिण क्षेत्र में समाज को राजनीतिक रूप से सफलता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें ।-gsmarkam
Part-2
एक नश्ल एक विचारधारा
विचारधारा के प्रति अडिग रहें तो ही मूलनिवासियों का भला है । अन्यथा करते रहो आर्यों के पुत्रों की गुलामी
गोंडवाना आंदोलन के लोगों, गोंडवाना की विचारधारा गोंडवाना के समग्र क्रांति के लिये चलाया जा रहा है । इसमें किस विचारधारा का लाभ और हानि होने वाला है उस विचारधारा के मुखिया को सोचना है । इसलिये हम अपनी विचारधारा के प्रति कायम रहें । जिसको मनुवादी व्यवस्था के साथ चलना है वे हमारे गोंडवाना आंदोलन के विपरीत चलें या बहुजन आंदोलन के विरूद्ध चलें एक ही बात है । मूलनिवासी अपना हक लेकर रहेगा । इसके लिये चाहे समुदाय को जो भी कुरर्बानी देना पडे सब देंगे ।-gsmarkam
गोंडवाना की प्रकृतिवादी विचारधारा आज भारत के प्रत्येक राज्य में समुदाय के बीच अपनी कुछ ना कुछ जगह बनाने में सफल हुआ है । जिसमें गोंडवाना आंदोलन से जुडे चिंतक विचारक और संगठको का बहुमूल्य योगदान है । बुद्धिजीवि लगातार गोंडवाना की विचारधारा को बढाने में संलग्न हैं । विचारधारा को बढाने के लिये गोंड गोंडी गोंडवाना के साथ साथ गोंडवाना के आदिवासियों को लेकर अनेक आदिवासी सामाजिक धार्मिक संगठन शैक्षिक संगठनों का निर्माण हुआ है जो अपने अपने स्तर पर गोंडवाना के समस्त आदिवासियों के समग्र उत्थान के लिये कार्यरत हैं । देश के विभिन्न हिस्सों में समुदाय के नाम पर जनचेतना का काम तो जारी है । परन्तु गोंडवाना भूभाग का आदिवासी इस समुदाय में राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक समझ विकसित करने में अभी सफल नहीं हो पाया है । कुछ राज्यों में जैसे झारखंड राज्य के इन सामाजिक घार्मिक संगठनों ने झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के माध्यम से समाज में राजनीतिक समझ विकसित करने का प्रयास किया जिसके परिणामस्वरूप आंशिक सफलता प्राप्त करने में सफल हुए हैं । इसी तरह आदिवासी जनचेतना ने पश्चिम क्षेत्र में भी समाज में राजनीतिक समझ पैदा करके भारतीय ट्रायबल पार्टी के नाम पर आंशिक राजनीतिक सफलता हासिल की है । गोंड गोंडी गोंडवाना को लेकर भारत के दक्षिणी हिस्से में समाज में सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक चेतना तो आई है लेकिन ठोस राजनीतिक समझ विकसित नहीं होने के कारण समाज इस भाग में निवासरत समाज गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को सफलता नहीं दिला सका है । हो सकता है राजनीतिक संगठन में कुछ कमजोरिया हों । जैसे झारखण्ड मुक्ति मोर्चा में भी कुछ कमजोरियां हैं पर समाज में राजनीतिक समझ होने के कारण पार्टी ने अपनी साख को बरकरार रखा है । गोंड गोंडी गोंडवाना और आदिवासी नाम को लेकर इस विशाल भाग में अनेक संगठन है। ं लेकिन समाज में स्वतंत्र राजनीतिक समझ विकसित करने की बजाय स्वार्थ और लालच में गैर आदिवासी नेतृत्व वाले राजनीतिक दलों के प्रति समाज का भरोशा दिलाने का काम काम किया जाता है । इसका सीधा मतलब है कि समाज तो अपनी ताकत को समझता है लेकिन एैसे सामाजिक संगठनों को स्वयं की ताकत पर भरोशा नहीं । या निजि स्वार्थ के कारण समाज की शक्ति को गिरवी रखना चाहते हैं । इसलिये गोंडवाना आंदोलन की समझ रखने वाले चिंतक विचारको और संगठको से अनुरोध है कि समाज में राजनीतिक समझ विकसित कर गोंडवाना के इस विशाल दक्षिण क्षेत्र में समाज को राजनीतिक रूप से सफलता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें ।-gsmarkam
Part-2
एक नश्ल एक विचारधारा
विचारधारा के प्रति अडिग रहें तो ही मूलनिवासियों का भला है । अन्यथा करते रहो आर्यों के पुत्रों की गुलामी
गोंडवाना आंदोलन के लोगों, गोंडवाना की विचारधारा गोंडवाना के समग्र क्रांति के लिये चलाया जा रहा है । इसमें किस विचारधारा का लाभ और हानि होने वाला है उस विचारधारा के मुखिया को सोचना है । इसलिये हम अपनी विचारधारा के प्रति कायम रहें । जिसको मनुवादी व्यवस्था के साथ चलना है वे हमारे गोंडवाना आंदोलन के विपरीत चलें या बहुजन आंदोलन के विरूद्ध चलें एक ही बात है । मूलनिवासी अपना हक लेकर रहेगा । इसके लिये चाहे समुदाय को जो भी कुरर्बानी देना पडे सब देंगे ।-gsmarkam
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