"अभी तक भारतीय जनमानस का माईंड सेट नहीं है"
अभी तक भारतीय जनमानस का माईंड सेट नहीं है । वह कहीं भी कभी भी किसी से भी प्रभावित हो जाता है । इसका कारण भी है कि हिन्दुत्व में हर विषय को भले ही वह राजनीति हो अर्थनीति हो शिक्षा ,चिकित्सा आदि को भगवान, ईश्वर ,स्वर्ग नरक से जोड देता है । इसलिये जनमानस उदासीन रहता है, जिसे कभी भी कहीं भी मोडा जा सकता है । उदाहरण के लिये यह कि विज्ञान का मास्टर कक्षा में आकर सूर्य की व्याख्या गर्म गोले के रूप में लरखों डिग्री तापमान बताकर करता है वहीं उसी कक्षा के अगले पीरियड में हिन्दी का मास्टर आता है वह कहता है कि हनुमान ने बचपन में खेलते खेलते सूरज को अपने मुंह से निगल लिया था । दोनों ही शिक्षक है छात्रों को अपने गुरू की बात पर विश्वास करना ही है । परन्तु वह छात्र जब घर आता है अपने मां बाप से पूछता है कि आज मेरी इस तरह की पढाई हुई आप क्या कहते हैं । चूंकि बाप का माईंड भी सेट नहीं है इसलिये खीझकर कह देता है तुझे पास होने से मतलब है हिन्दी का प्रश्न पत्र आये तो हनुमान वाली बात लिख देना । विज्ञान के प्रश्न पत्र में विज्ञान के मास्टर ने जो बताया है वैसा लिख देना ।-gsmarkam
अभी तक भारतीय जनमानस का माईंड सेट नहीं है । वह कहीं भी कभी भी किसी से भी प्रभावित हो जाता है । इसका कारण भी है कि हिन्दुत्व में हर विषय को भले ही वह राजनीति हो अर्थनीति हो शिक्षा ,चिकित्सा आदि को भगवान, ईश्वर ,स्वर्ग नरक से जोड देता है । इसलिये जनमानस उदासीन रहता है, जिसे कभी भी कहीं भी मोडा जा सकता है । उदाहरण के लिये यह कि विज्ञान का मास्टर कक्षा में आकर सूर्य की व्याख्या गर्म गोले के रूप में लरखों डिग्री तापमान बताकर करता है वहीं उसी कक्षा के अगले पीरियड में हिन्दी का मास्टर आता है वह कहता है कि हनुमान ने बचपन में खेलते खेलते सूरज को अपने मुंह से निगल लिया था । दोनों ही शिक्षक है छात्रों को अपने गुरू की बात पर विश्वास करना ही है । परन्तु वह छात्र जब घर आता है अपने मां बाप से पूछता है कि आज मेरी इस तरह की पढाई हुई आप क्या कहते हैं । चूंकि बाप का माईंड भी सेट नहीं है इसलिये खीझकर कह देता है तुझे पास होने से मतलब है हिन्दी का प्रश्न पत्र आये तो हनुमान वाली बात लिख देना । विज्ञान के प्रश्न पत्र में विज्ञान के मास्टर ने जो बताया है वैसा लिख देना ।-gsmarkam
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