साथ साथ चलने की आदत को हम बना लें ।
बिखरे हुए मोतीयों की माला तो हम बनालें ।।
खुदगर्ज होके तुम भी कितनी देर चल सको ।
सुख दुख के खातिर मिलकर एक आशियां बनालें ।।
मूलवासी आदिवासी और भी हैं साथी ।
जीतलो सबका मन कोई ना रहे बाकी ।।
विश्वास से चलता था राज मेरे गोंडवानो का ।
आओ इस गोंडवाना को आज फिर से हम सजालें ।।
देश भी वही है वही लोग हैं अब तक ।
मिटटी का रंग बदला ना पानी का आज तक ।।
तब हमारे सोचने का ढंग क्यों बदला ।
एक हैं तब एकता की छाप तो दिख्खे ।
गोंडवाना के मूलनिवासियों की एक आवाज तो निकले ।।
फिर से ये सोने की चिडिया बन सके भारत ।
बस इसके लिये अपना अपना फर्ज निभा लें ।।
आओ मिलके चलने की आदत को बना लें ।
बिखरे हुए मोती की हम माला बना लें ।।-gsmarkam
बिखरे हुए मोतीयों की माला तो हम बनालें ।।
खुदगर्ज होके तुम भी कितनी देर चल सको ।
सुख दुख के खातिर मिलकर एक आशियां बनालें ।।
मूलवासी आदिवासी और भी हैं साथी ।
जीतलो सबका मन कोई ना रहे बाकी ।।
विश्वास से चलता था राज मेरे गोंडवानो का ।
आओ इस गोंडवाना को आज फिर से हम सजालें ।।
देश भी वही है वही लोग हैं अब तक ।
मिटटी का रंग बदला ना पानी का आज तक ।।
तब हमारे सोचने का ढंग क्यों बदला ।
एक हैं तब एकता की छाप तो दिख्खे ।
गोंडवाना के मूलनिवासियों की एक आवाज तो निकले ।।
फिर से ये सोने की चिडिया बन सके भारत ।
बस इसके लिये अपना अपना फर्ज निभा लें ।।
आओ मिलके चलने की आदत को बना लें ।
बिखरे हुए मोती की हम माला बना लें ।।-gsmarkam
Comments
Post a Comment