"जनगणना 2021"
"सरकार ना माने तो खुद को तैयार करो"
मित्रों हम राष्ट्रीय स्तर पर ट्राईबल नाम के धर्मकोड की स्थापना के लिए देश का समस्त जनजाति समुदाय लगा हुआ है क्योंकि भारत देश तीन बड़े आदिवासी हिस्सों जिसमें झारखंड बंगाल उत्तर प्रदेश उड़ीसा को लेकर कोलारियन बेल्ट कहलाता है जिसमें संथाल जनजाति की जनसंख्या सबसे ज्यादा है फिर वहां उरांव हो, मुंन्डा है लोहरा है यह सब मिलकर एक कोलारियन बेल्ट में सरना धर्म का नेतृत्व करते हैं जहां पर सरना को मानने वाले या उसके छोटे-छोटे समूह को मानने वाले बहुत सी जनजाति समुदाय एकजुट होते नजर आ रहे हैं वह ट्राईबल के नाम पर नेशनल लेवल पर ट्राईबल रिलिजन को महत्व देने के लिए तैयार है लेकिन स्थानीय स्तर पर अपने आपको सरना के रूप में अपने संप्रदाय के रूप में स्थापित करने की बात कर रहे हैं वहीं भारत का सबसे बड़ी जनसंख्या की दृष्टि जनजाति हैं भील भिलाला, मीणा बारेला आदि जो लगभग तीन चार राज्यों में फैली हुई है राष्ट्रीय स्तर पर ट्राईबल रिलीजन की मान्यता के लिए तैयार हैं परंतु वे कहते हैं कि हमारा स्थानीय आदिधर्म है। आदिवासी धर्म के लिए अपनी स्थानीय पहचान बनाये रखना चाहते हैं।वहीं दूसरी तरफ दक्षिण का हिस्सा जिसमें ६ राज्यों के लोगों ने सर्व सम्मति से अपनी पहचान कोया पुनेम पर सहमत हैं। पर राष्ट्रीय स्तर पर ट्राईबल रिलीजन के नाम पर सहमत हैं। हो सकता है देश की सरकारें,या व्यवस्था के संचालक हमारी जनजातीय शक्ति को ताकतवर बनने से रोकने के लिए जनगणना के समय कोई बहाना कर दें कोड ना दें । परंतु हम सब हमारी संयुक्त लड़ाई जारी रखेंगे। हम कोलारियन, भीलियन और गोंडियन बेल्ट के समुदाय से अपील करते हैं कि विषम परिस्थितियों में कम से कम तीनों बेल्ट के लोग तीन प्रमुख धर्मों के रूप में स्थापित हों और यदि जनगणना में अन्य का कालम रहता है तो जिस तरह अभी 2011 में 4800000 लोगों ने सरना धर्म लिखा है वे लगभग एक करोड़ लिखें । गोंडियन बेल्ट के 1000000 लोगों ने गोंडी/कोयापुनेम लिखे हैं यह बेल्ट भी कम से कम 1करोड का आंकड़ा बनाने हेतु युद्ध गति से प्रचार प्रसार में लग जाये । भीलियन बेल्ट भी इस मुहिम को तेज कर दे। क्षेत्रीय पहचान को आधार बनाकर हमारा समुदाय यदि इस काम में लग जाता है तो,स्वत: एक हलचल होगी "ट्राईबल रिलीजन" देना व्यवस्था चलाने वालों की मजबूरी होगी। जय सेवा जय जोहार।
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंसक्रांआं)
"सरकार ना माने तो खुद को तैयार करो"
मित्रों हम राष्ट्रीय स्तर पर ट्राईबल नाम के धर्मकोड की स्थापना के लिए देश का समस्त जनजाति समुदाय लगा हुआ है क्योंकि भारत देश तीन बड़े आदिवासी हिस्सों जिसमें झारखंड बंगाल उत्तर प्रदेश उड़ीसा को लेकर कोलारियन बेल्ट कहलाता है जिसमें संथाल जनजाति की जनसंख्या सबसे ज्यादा है फिर वहां उरांव हो, मुंन्डा है लोहरा है यह सब मिलकर एक कोलारियन बेल्ट में सरना धर्म का नेतृत्व करते हैं जहां पर सरना को मानने वाले या उसके छोटे-छोटे समूह को मानने वाले बहुत सी जनजाति समुदाय एकजुट होते नजर आ रहे हैं वह ट्राईबल के नाम पर नेशनल लेवल पर ट्राईबल रिलिजन को महत्व देने के लिए तैयार है लेकिन स्थानीय स्तर पर अपने आपको सरना के रूप में अपने संप्रदाय के रूप में स्थापित करने की बात कर रहे हैं वहीं भारत का सबसे बड़ी जनसंख्या की दृष्टि जनजाति हैं भील भिलाला, मीणा बारेला आदि जो लगभग तीन चार राज्यों में फैली हुई है राष्ट्रीय स्तर पर ट्राईबल रिलीजन की मान्यता के लिए तैयार हैं परंतु वे कहते हैं कि हमारा स्थानीय आदिधर्म है। आदिवासी धर्म के लिए अपनी स्थानीय पहचान बनाये रखना चाहते हैं।वहीं दूसरी तरफ दक्षिण का हिस्सा जिसमें ६ राज्यों के लोगों ने सर्व सम्मति से अपनी पहचान कोया पुनेम पर सहमत हैं। पर राष्ट्रीय स्तर पर ट्राईबल रिलीजन के नाम पर सहमत हैं। हो सकता है देश की सरकारें,या व्यवस्था के संचालक हमारी जनजातीय शक्ति को ताकतवर बनने से रोकने के लिए जनगणना के समय कोई बहाना कर दें कोड ना दें । परंतु हम सब हमारी संयुक्त लड़ाई जारी रखेंगे। हम कोलारियन, भीलियन और गोंडियन बेल्ट के समुदाय से अपील करते हैं कि विषम परिस्थितियों में कम से कम तीनों बेल्ट के लोग तीन प्रमुख धर्मों के रूप में स्थापित हों और यदि जनगणना में अन्य का कालम रहता है तो जिस तरह अभी 2011 में 4800000 लोगों ने सरना धर्म लिखा है वे लगभग एक करोड़ लिखें । गोंडियन बेल्ट के 1000000 लोगों ने गोंडी/कोयापुनेम लिखे हैं यह बेल्ट भी कम से कम 1करोड का आंकड़ा बनाने हेतु युद्ध गति से प्रचार प्रसार में लग जाये । भीलियन बेल्ट भी इस मुहिम को तेज कर दे। क्षेत्रीय पहचान को आधार बनाकर हमारा समुदाय यदि इस काम में लग जाता है तो,स्वत: एक हलचल होगी "ट्राईबल रिलीजन" देना व्यवस्था चलाने वालों की मजबूरी होगी। जय सेवा जय जोहार।
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंसक्रांआं)
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