"कोई भी आंदोलन प्रजातांत्रिक मूल्यों के साथ चले"
"व्यक्तिवादी" और "वन मैन शो" वाले संगठन ज्यादा दिन तक नहीं चलते व्यक्तिवादी संगठन अपने इर्द-गिर्द चमचों की भीड़ इकट्ठा करके रखते हैं जो नेतृत्व का हमेशा गुणगान करते रहते हैं भले ही वह नेतृत्व अंदर ही अंदर क्या गुल खिला रहा है इसे अंधभक्त, समर्थक नहीं समझ पाते और इसलिए व्यक्तिवादी संगठन कुछ दूर चल कर फेल हो जाते हैं इस देश को प्रजातांत्रिक शक्ति के बंटवारे के आधार पर चलने वाले संगठनों की आवश्यकता है अन्यथा मनुवाद,ब्राह्मणवाद से निपटना इतना आसान नहीं है !
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन) में सरकार को
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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