"संदिग्ध और अविश्वसनीय होता हुआ सुप्रीम कोर्ट"
सुप्रीम कोर्ट के सारे फैसले मूलनिवासियों के विरुद्ध दिये जा रहे हैं, देश के असली मालिक आदिवासी को तो हाशिए में ही रख दिया गया है। अंग्रेजों की लिखी बात सच हो रही है कि "बामन जाति के न्यायधीश से नैसर्गिक न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती, क्यूंकि वह पक्षपाती होता है" आज की तारीख में सुप्रीम कोर्ट में 99 प्रतिशत जज बामन हैं। इसलिए राष्ट्रपति को चाहिए कि वह कालेजियम नियुक्ति सिस्टम को खत्म करे या सुप्रीम कोर्ट को भंग कर नये सिरे से जजों की नियुक्ति करे। अन्यथा सुप्रीम कोर्ट से जनता का विश्वास लगातार उठता जा रहा है। भविष्य में यदि देश में अराजकता पैदा होती है,तो दुनिया में देश की साख गिरेगी।समय रहते इस पर विचार नहीं किया गया तो देश को भीषण संकट से बचाया नहीं जा सकता। भविष्य में आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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