"दलों के दल दल से मुक्त होना होगा"
"नेता या दल की प्रतिबद्धता ने प्रजातांत्रिक मूल्यों का गला घोंटा है।"
नेता और दल की प्रतिबद्धता ने सदैव जनमत और प्रजातांत्रिक मूल्यों का गला घोंटा है। मप्र नहीं विभिन्न राज्यों में ऐसे कारनामे अनेकों बार हो चुके हैं। यह सब इसलिए होता है कि आम जनमानस को राजनीति की पैंतरे बाजी नहीं आती। जनता ने व्यक्ति को नहीं पार्टी और उसके आका को देखकर वोट दिया है, अब उसे वह बेचे या खरीदे जनता का उस पर कोई बस नहीं चलेगा। जिस दिन जनता व्यक्ति के चाल चरित्र का मूल्यांकन करके वोट करने लगेगी तब वह व्यक्ति जनता के प्रति उत्तरदायी होगा, प्रतिबद्ध होगा,अभी वह दल और दल के नेता के प्रति उत्तरदायी होता है इसलिए दल या नेता जैसा कहता है वह सबकुछ ताक में रखकर वैसा करता है। अब समय आ गया कि जनता को दलों और नेताओं की दलदली राजनीति से मुक्त होना पड़ेगा। दल और नेता के प्रति प्रतिबद्धता रखने वाले प्रत्याशी की परख करनी होगी । अब अपने अपने क्षेत्रों में जनांदोलन खड़ा करके दल विहीन प्रतिनिधि तैयार करना होगा जो जनता के प्रति उत्तरदायी होगा।
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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