"एसी भारत सरकार"(श्री केसरी सिंह जी) एवं "अंतर्राष्ट्रीय मांझी सरकार" (श्री कंगला मांझी जी)"
हमारे देश में युवा पीढ़ी और अन्य बौद्धिक वर्ग तथा विभिन्न संगठनों के माध्यम से समुदाय और समाज हित में आंदोलन चलाने वाले संगठनों के जिम्मेदार लोग पदाधिकारी गण कृपया निम्नलिखित संगठन भी हमारे अपने हैं परन्तु ये दोनों संगठन जो भारत के "क्राउन और ताज" की बात करते हैं। उनसे बात करना होगा हकीकत से रूबरू होना पड़ेगा दोनों सरकारों से अनुरोध है कि
गुजरात से "ए/सी भारत सरकार" कुटुंब परिवार के जिम्मेदार लोग और मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ से अंतरर्राष्ट्रीय "कंगला मांझी सरकार" के प्रमुख जिम्मेदार लोग आपस मैं एक साथ बैठकर संगोष्ठी करें।कि भारत में हमारी (आदिवासियों) भूमिका क्या है।
नोट:-कुछ इसी तरह के विचारों को लेकर झारखंड राज्य में "टाना भगत समूह" भी है। उनसे भी मिलकर विमर्श किया जाय। यह सबकी जिम्मेदारी है।
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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