"विनम्र निवेदन"
सगा जनों हमने गोंडी भाषा में संवाद करने के लिए वाटएट में "गोंडी पारसी वनकाट ग्रुप" बनाया है जिन साथियों को यह भाषा आती है ऐसे मित्र ही इस ग्रुप में शामिल हों। इस ग्रुप में सदस्यों से संवाद होगा यह संवाद और ग्रुप में भेजी गई जानकारी को एकत्र किया जायेगा । ताकि भाषा को गूगल माइक्रोसाॅफ्ट के माध्यम से अन्य भाषाओं में ट्रास्लैशन हो सके। आपके एंड्रायड फोन में भी आसानी से किया जा सके। माननीय सुभ्रांसु जी के सहयोग से इस कार्य को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। अतः इसमें अपेक्षित सहयोग प्रदान करें। भाषा में चैट नहीं करने वाले किसी साथी को यदि बिना जाने जोड़ लिया गया है तो एडमिन उसे ससम्मान रिमूव कर दे। रिमूव होने वाला भी नाराज ना हो। साथियों ऐसा निवेदन हम भाषा के बड़े मकसद के लिए कर रहे हैं। कृपया सहयोग दें।
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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