"सजग रहें अन्यथा समाज गुलाम हो जायेगा"
मनुवादी विचारधारा पर देश में विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से लगातार हमला और इस हमले से कमजोर होती मनुवादी व्यवस्था और उसके संगठन लगातार चिंता में हैं। यही कारण है कि वे जल्द से जल्द संविधान को बदलने की कवायद में राज्यसभा में भी बहुमत हासिल करना चाहते हैं। इसलिए मनुवादी विचारधारा को मजबूत बनाने की मंशा रखने वाला व्यक्ति चाहे वह किसी दल में बैठा हो जल्द से जल्द केंद्रित हो रहा है और साथ ही राज्य सभा में बहुमत बनाने की कौशिश कर रहा है । यह कार्य इतनी तेजी से हो रहा है कि ऐसे मनुवादी नेता का साथ और समर्थन देने वाले एससी एसटी ओबीसी के जनप्रतिनिधियों को भनक तक नहीं कि आगे क्या षड्यंत्र होगा । साथियों मनुवाद की जड़ें हिल चुकी हैं। अम्बेडकर वादी, प्रकृतिवादी, मानवतावादी, समाजवादी जैसी विचारधाराओं के लगातार बढ़ती हलचल ने "अभी नहीं तो कभी नहीं" तथा "येन केन प्रकारेण" "साम दाम दण्ड भेद" जैसे इनके अपने पारंपरिक हथियार को व्यवहार में ला रहे हैं। "सजग रहें अन्यथा समाज नष्ट हो जायेगा"
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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