15
अगस्त
1947
के
पूर्व से ही गोडवाना के राजा
महाराजाओं में अपनी प्रजा के
हित में गोंडवाना के समग्र
विकास की अवधारणा को लेकर 1930
में
अखिल गोंडवाना गोंड महासभा
का गठन किया जा चुका था जिसका
प्रथम अधिवेशन 1932
में
इटका नैनपुर में सम्पन्न हुआ
। जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों
से जैसे वर्तमान उड़ीसा,
झारखंड,
छत्तीसगढ़,
मध्य
भारत और आंध्र प्रदेश,
महाराष्ट्र
,गुजरात
के गोंड के अंतर्गत आने वाली
सभी उपजातीय समुदाय के लोग
जो वर्तमान संविधान में स्वतंत्र
जाति के रूप में स्थापित हैं
इस महासभा में शामिल हुए ।
प्रथम अधिवेशन में सारंगढ के
राजा मा0
जवाहर
सिंह को सर्वसम्मति से अध्यक्ष
तथा मण्डला से मा0
मंगरू
सिंह उईके जी को सचिव के रूप
में मनोनीत किया गया । संरक्षक
सदस्यों के रूप में राजे
अहेरी,पलासगढ़,हर्रईपगारा,सारंगढ़,सम्बलपुर,देवगढ़
के राजाओं ने महासभा की जिम्मेदारी
ली । राजे सरेखा,
भैंसदेही
,बैतूल
तथा मकड़ई के राजाओं को कार्यकारिणी
सदस्य के रूप में स्थापित किया
गया । इस संगठन ने 1932
से
1934
तक
लगातार जंगल कानून के विरोध
में देश भर में आन्दोलन चलाते
हुए 1934
में
सिवनी में पुनः अधिवेशन प्रत्येक
अधिवेशन में समाज की समस्या
और उसके निदान के लिये कार्यवाही
के प्रस्ताव पारित होते थे
जो राष्ट्रीय अधिवेशन में
उसकी समीक्षा होती थी । सामाजिक
आर्थिक शैक्षिक गतिविधियों
के तथा समाज सुधार के बहुत से
बिन्दुओं के साथ साथ महत्वपूर्ण
स्थायी बिन्दु भाषा,
धर्म
और प्रथक गोंडवाना राज्य
निर्माण का होता था । इन मुददों
को ब्रिटिश सरकार के अंतरिम
सरकार में पैरवी के लिये हरई
पगारा के राजा को नागपुर
असेम्बली के लिये एमएलए के
रूप में भेजे जाने का महत्वपूर्ण
प्रस्ताव पारित किया गया ।
इस तरह अखिल गोंडवाना गोंड
महासभा के द्वारा आजादी के
पूर्व तथा अजादी के बाद तक
लगातार अधिवेशनों का दौर जारी
रहा आजादी के बाद समुदाय ने
स्थानीय स्तरों पर अनेक संस्थाओ
का पंजीयन कर क्षेत्रीय समस्याओं
पर अपना ध्यान केन्द्रित कर
लिया जिसके कारण आजादी के
पूर्व अखिल गोंडवाना गोंड
महासभा के द्वारा विभिन्न
राज्यों के प्रतिनिधियों को
लेकर चल रही राष्ट्रीय गतिविधियां
और निर्धारित राष्ट्रीय मुददे
पीछे रह गये । अखिल गोंडवाना
गोंड महासभा के निर्धारित
लक्ष्य को पूरा करना समुदाय
का दायित्व होता है । इसी
उददेश्य से हमारे पुरखों के
राष्ट्रीय स्तर पर चलाये गये
राष्ट्रीय अधिवेशनो के क्रम
को लगातार आगे बढाने के लिये
इसके मूल संविधान को लेकर अखिल
भारतीय स्तर पर अखिल भारतीय
गोंडवाना गोंड महासभा द्वारा
पुनः अधिवेशनों का दौर आरंभ
किया गया है । आजादी के पूर्व
अधिवेशनों 1934
(मध्यप्रदेश)
पहला
से आजादी के बाद अब तक (छ0ग0)
9वां
(महाराष्ट्र)
10 वां
(उडीसा)
11वां
(कर्नाटक)
12वां
राष्ट्रीय अधिवेशन संम्पन्न
हो चुके हैं । इसी कृम में
एैतिहासिक नगरी हरई पगारा
जिला छिंदवाडा (मध्यप्रदेश)
को
पुनः 13वां
राष्ट्रीय अधिवेशन 2,3,4,
फरवरी
2018
के
कार्यकृम का आयोजक बनने का
अवसर मिला है । जो गोंडवाना
के समस्त समुदाय के लिये गौरव
की बात है । -gsmarkam
अतः
समस्त सगाजनों से अपील है कि
इस राष्ट्रीय अधिवेशन को सफल
बनाने के लिये तन मन धन से सहयोग
करते हुए गोंडवाना के गौरव
को बढाने में अपनी महत्वपूर्ण
भूमिका अदा करें ।
निवेदक
कार्यकृम
आयोजन समिति
मध्यप्रदेश
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