"पहले मिटटी एकत्र करो उसमें से कचरा साफ करो । फिर मिटटी को पूरी तरह भीगने दो, फिर उसे वांछित तत्व मिलाकर मिक्स करो, फिर तैयार मिटटी को चाक या हाथ में लेकर मनचाही आकृति बनाओ,फिर आक्रति बनाकर सूखने दो जब तक पूरी तरह सूख ना जाये तब तक उसकी रखवाली करो, फिर उसे सम्हालकर भटटी में पकने के लिये डाल दो, फिर पकने के बाद उसका मनचाहा उपयोग करो । अन्यथा बिना पकाये उस आकृति को छोड दोगे तो, उसका उपयोग केवल देखने मात्र के लिये होगा कार्य के लिये नहीं । बिना पकी आकृति पर अन्य कोई भी तैयार माल समझकर पानी डालकर अपनी इच्छा की आकृति बना लेगा आप कहेंगे आखिर यह कैसे हुआ । इसलिये आकृति को पकने तक पूरी सुरक्षा और पकने के बाद सुरक्षा के साथ उपयोग किया जाने वाला तरीका आकृति की उम्र और आपकी मेहनत का लम्बा परिणाम देगी ।"
-किसी आन्दोलन में अक्सर यह देखने में आता है कि किसी को आन्दोलन की थोडी बहुत समझ आ गई तो वह समझता है, मुझे अब ज्ञान की आवश्यकता नहीं । जिसे थोडी बहुत जानने या आन्दोलन के साथ चलने की जिज्ञासा हो, एैसे लोगों को नकारा बताकर हतोत्साहित नहीं करना चाहिये, कारण कि अब तक बह जिन परिस्थितियों में रहा है, उन परिस्थितियों को छोडने और आपकी आकृति में आने में उसे समय लगेगा जैसे उपरोक्त लिखित बातों के उदाहरण में दिया गया है । उसे उपरोक् लिखित प्रोसेस से गुजारकर एक अच्छाा कार्यकर्ता बना सकते हैं जो आपके आन्दोलन को अपने कंधे पर लेकर चलने को सदैव तैयार रहेगा । कार्यकता ,क दिन में तैयार नहीं होता उसके लिये आपको मेहनत करनी होगी । तभी एैसे आन्दोलन सफल हो सकेंगे ।-gsmarkam
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