"अन्ग्रेजी राज्य के नौकरशाहों (ब्यूरोक्रेट) की तरह व्यवहार करता है, आज का हमारे बीच का पैदा देशी नौकरशाह"
कथित आजादी के बाद आजाद भारत होने के पक्षधरों को हमारे देश में चल रही नौकरशाही और राजनेताओं के चरित्र का मूल्यांकन करना नहीं आयाए वरन् आज की व्यवस्था को सीधा नकार दिया जाता । आज का नौकरशाह देश के आम नागरिक के साथ वैसा ही व्यवहार कर रहा है जैसे उस वक्त का नौकरशाह करता था ।उसे आम नागरिक के दुख तकलीफ से कोई लेना देना नहीं है उसे तो बस शासन से प्राप्त सुविधाओं का उपभोग करना है और तरक्की के लिये सत्ताधारियो की हां में हां मिलाना है ! जबकि कथित आजादी के बाद देश और देशी नागरिक के प्रति इनकी सन्वेदना बढनी चाहिये पर यह सब इन्हें नागवार सी लगती है । आखिर देश की आजादी का क्या मतलब जब देश की व्यवस्था मुट्ठी भर अन्ग्रेजो के द्वारा बहुसंख्यक जनता को नियंत्रित करने के उद्देश्य से कायम किया गया था । जिसका प्रशिक्षण का पैमाना या सिलेबस बहुसंख्यक जनता को नियंत्रित करने के उद्देश्य से अंग्रेजों ने तैयार कर भारतीय ब्यूरेक्रेसी की नीव डाली थी । ठीक इसी तरह इंग्लैंड का सारी दुनिया के देश में राज करने के अपने नेताओं के तरीकों को भी भारतीय व्यवस्था ने ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया । यही कारण है कि 1947 के पहले का भारत आज तक ज्यों का त्यों बना हुआ है । आम जनता को कहीं से भी आजादी ,आजाद होने का एहसास नहीं हो पा रहा है । अपनी जायज मांगों को लेकर शांति पूर्वक किया जा रहा प्रदर्शन भी, सत्ताधारियों को नागवार गुजरती है । अंग्रेजी सिलेबस और मापदण्ड से प्रशिक्षित पुलिस और अर्धसैनिक बल भी केवल सत्ता के इसारे पर ही अपनों पर डंडे और गोली चालन करने में संकोच नहीं करते । हम यदि आजाद हैं तो हम आजाद भारत के मापदण्ड पर आधारित सम्पूर्ण शासन प्रसाशन की व्यवस्था कायम करें ।-gsmarkam
Comments
Post a Comment