"मनुवाद मुक्त सोच ,मनुवाद मुक्त विचार और मनुवाद मुक्त व्यवहार ही मूलनिवासियी,मूलवासियों के मुक्ति का आधार है !!!"
"एक नजर इधर भी"
मनुवाद ने एैसा जाल फैलाया है कि इसकी जाल में मनुवादी विचारधारा में फंसे मूलवासी, मूलनिवासी राजनीतिक नेता, धार्मिक गुरू या अच्छे ब्यूरोक्रेट हो ,सब अंततः फंसते ही हैं । जब तक एैसे लोग मनुवाद के पोषक बने रहते हैं ,तब तक उन्हें अवसर मिलता रहता है । यदि मनुवादी विचारको को लगा कि ये अब कंट्रोल से बाहर जा रहा है, तब अपने आरंभिक प्रायोजित जाल जिसमें भृष्टाचार (पर आंख बंद कर लेना) पर प्रतिक्रिया नहीं देना, बलात्कार के लिये (विष कन्याओं का प्रयोग, अवसर की प्रतीक्षा) जैसे हथियार का आरंभ से ये रोपण कर चुके होते हैं । इतने गहरे पर जाकर मनुवाद मार करता है कि, आम समझ तो बाहरी हवा में ही बहकर रह जाता है । उसे क्या पता कब, कहां, किसे, कैसे जाल में फंसाया जा रहा है । राजनीति और बाबागिरी का लंबा इतिहास है, जिसमें मनुवाद का संचालक इन मसलों में पडे तो "ईश्वर की लीला" समझ आम जनता का नायक (देवता) हो जाता है । मनुवाद के खिलाफ चलकर ताकतवर होने वाला,जनता के बीच , खलनायक (भृष्टाचारी, बलात्कारी, देशद्रोही) तक घोषित हो जाता है । मनुवाद के इस मनोवैज्ञानिक घेरे से हमारा देश अभी मुक्त नहीं हुआ है । छुटपुट घेरा तोडने के प्रयास असफल ही रहे हैं ,कारण कि एैसे अगुवाओं ने मनुवाद की नींव पर अपना महल खडा करने का प्रयास किया है ।
मनुवादी विचार या क्रियाकलाप का छोटा सा अंश भी आपके मष्तिस्क में जीवित है, तो आप सफल नहीं हो सकेंगे । कहीं ना कहीं जाकर आप फेल हो जायेंगे या फेल करा दिये जायेंगे । "मनुवाद मुक्त सोच ,मनुवाद मुक्त विचार और मनुवाद मुक्त व्यवहार ही मूलनिवासियी,मूलवासियों के मुक्ति का आधार है !!!" gsmarkam
मनुवाद ने एैसा जाल फैलाया है कि इसकी जाल में मनुवादी विचारधारा में फंसे मूलवासी, मूलनिवासी राजनीतिक नेता, धार्मिक गुरू या अच्छे ब्यूरोक्रेट हो ,सब अंततः फंसते ही हैं । जब तक एैसे लोग मनुवाद के पोषक बने रहते हैं ,तब तक उन्हें अवसर मिलता रहता है । यदि मनुवादी विचारको को लगा कि ये अब कंट्रोल से बाहर जा रहा है, तब अपने आरंभिक प्रायोजित जाल जिसमें भृष्टाचार (पर आंख बंद कर लेना) पर प्रतिक्रिया नहीं देना, बलात्कार के लिये (विष कन्याओं का प्रयोग, अवसर की प्रतीक्षा) जैसे हथियार का आरंभ से ये रोपण कर चुके होते हैं । इतने गहरे पर जाकर मनुवाद मार करता है कि, आम समझ तो बाहरी हवा में ही बहकर रह जाता है । उसे क्या पता कब, कहां, किसे, कैसे जाल में फंसाया जा रहा है । राजनीति और बाबागिरी का लंबा इतिहास है, जिसमें मनुवाद का संचालक इन मसलों में पडे तो "ईश्वर की लीला" समझ आम जनता का नायक (देवता) हो जाता है । मनुवाद के खिलाफ चलकर ताकतवर होने वाला,जनता के बीच , खलनायक (भृष्टाचारी, बलात्कारी, देशद्रोही) तक घोषित हो जाता है । मनुवाद के इस मनोवैज्ञानिक घेरे से हमारा देश अभी मुक्त नहीं हुआ है । छुटपुट घेरा तोडने के प्रयास असफल ही रहे हैं ,कारण कि एैसे अगुवाओं ने मनुवाद की नींव पर अपना महल खडा करने का प्रयास किया है ।
मनुवादी विचार या क्रियाकलाप का छोटा सा अंश भी आपके मष्तिस्क में जीवित है, तो आप सफल नहीं हो सकेंगे । कहीं ना कहीं जाकर आप फेल हो जायेंगे या फेल करा दिये जायेंगे । "मनुवाद मुक्त सोच ,मनुवाद मुक्त विचार और मनुवाद मुक्त व्यवहार ही मूलनिवासियी,मूलवासियों के मुक्ति का आधार है !!!" gsmarkam
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