EVM विरोध से ध्यान हटाने के लिये गुजरात चुनाव परिणाम की तस्वीर गढी गई ।
ईवीएम के प्रति बढती अविश्वसनीयता पर पर्दा डालने और ईवीएम का विरोध करने वाले दलों ,संगठनों को शांत करने के लिये कांग्रेस से मिलीभगत का प्रायोजित परिणाम है ताकि कांग्रेस का ईवीएम के विरूद्ध बोलती बंद हो जाये । चूंकि २०१८ मे चार राज्योंं में चुनाव होना है । ईवीएम को बंद नहीं करना है । कारण भी है कि कांग्रेस, भाजपा एक सिक्के के दो पहलू हैं कांग्रेस को यदि एकदम समाप्त किया गया तो तीसरी ताकत का उदय संभव है जो मनुवादियों को तानाशाही सत्ता स्थापित करने में बाधक होंगे । इसलिये मनुवाद ,कांग्रेस को मरने नहीं देगा ताकि देश का मूलनिवासी कांग्रेस में तब तक फंसा रहे जब तक भाजपा का देश के सभी राज्यों मे कब्जा ना हो जाये , मनुवाद की स्थापना ना हो जाये । कांग्रेस के मोहजाल में फंसकर रहे तो तीसरी ताकतों का उभरना संभव नहीं , कांग्रेस में बैठे मनुवादियों की यही सोच है । इनका कहीं भी नुकसान नहीं । कांग्रेस, भाजपा दोनों ही इनके दल हैं , इनका आना जाना बरसों से बदस्तूर जारी है । इनके किसी दल में आने जाने को लोग संग्यान में नहीं लेते, अन्यथा देश में बहुसंख्यक मूलनिवासी जन शासक होते ! -gsmarkam
ईवीएम के प्रति बढती अविश्वसनीयता पर पर्दा डालने और ईवीएम का विरोध करने वाले दलों ,संगठनों को शांत करने के लिये कांग्रेस से मिलीभगत का प्रायोजित परिणाम है ताकि कांग्रेस का ईवीएम के विरूद्ध बोलती बंद हो जाये । चूंकि २०१८ मे चार राज्योंं में चुनाव होना है । ईवीएम को बंद नहीं करना है । कारण भी है कि कांग्रेस, भाजपा एक सिक्के के दो पहलू हैं कांग्रेस को यदि एकदम समाप्त किया गया तो तीसरी ताकत का उदय संभव है जो मनुवादियों को तानाशाही सत्ता स्थापित करने में बाधक होंगे । इसलिये मनुवाद ,कांग्रेस को मरने नहीं देगा ताकि देश का मूलनिवासी कांग्रेस में तब तक फंसा रहे जब तक भाजपा का देश के सभी राज्यों मे कब्जा ना हो जाये , मनुवाद की स्थापना ना हो जाये । कांग्रेस के मोहजाल में फंसकर रहे तो तीसरी ताकतों का उभरना संभव नहीं , कांग्रेस में बैठे मनुवादियों की यही सोच है । इनका कहीं भी नुकसान नहीं । कांग्रेस, भाजपा दोनों ही इनके दल हैं , इनका आना जाना बरसों से बदस्तूर जारी है । इनके किसी दल में आने जाने को लोग संग्यान में नहीं लेते, अन्यथा देश में बहुसंख्यक मूलनिवासी जन शासक होते ! -gsmarkam
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