“अफीम की खेती तथा उससे जुडे कुछ तथ्य " मप्र जिला नीमच जहां अफीम की खेती की जाती है । निजी कार्य से नीमच प्रवास के दौरान अफीम के खेत में जाने का अवसर मिला , खेत पर काम करने वाले मजदूरों से बात करते हुए मैने इस कृषि के लाभ हानि तथा बीज बोने की प्रक्रिया के बारे में जानना चाहा तब मजदूर ने कहा कि पहली बात तो यह कि यह खेती अच्छी पूंजी और सरकारी पकड वाला ही कर सकता है । इसकी खेती सरकारी नियन्त्रण में की जाती है , फसल लगाने के पूर्व ही सरकारी अमला अनुमानतः एक एकड में एक फसल से लगभग आठ से दस किलो अफीम जमा कराना निर्धारित कर देती है जिसे शासन स्वयं १५०० रूपये किलो पर खरीदती है । फसल समाप्ति तक अफीम के फलों से ३००से ४०० ग्राम अफीम निकलती है । अफीम उस फल का दूध है जिसे प्रतिदिन एक विशेष औजार से कट मारने पर निकलता है जो दूसरे दिन सूख जाता है तब उस सूखे दूध को विशेष औजार रूपी पात्र में एकत्र किया जाता है । इस तरह अफीम के फल पर प्रतिदिन कट लगाकर अफीम निकाला जाता है । मजदूर के कथन अनुशार अफीम निकालकर सरकार को बेचने में लागत और मजदूरी भी प्राप्त नहीं होती परन्तु अनुबंध के कारण केवल सरकार को ही ...