"समुदाय की केंद्रीय शक्ति है अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा"
(13 वां अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा का राष्ट्रीय अधिवेशन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ ।)
आजादी पूर्व 1931 में जिन् प्रस्ताओं को हमारे पुरखों ने समय समय पर पारित कर शासन प्रशासन को अवगत कराने का काम करते रहे वे मुख बिन्न्दु भाषा धर्म संस्कृति हैं जो समुदाय को संगठित करने के लिये आवश्यक है जिन्हें 1947 के बाद बने संगठनो ने अपने अपने स्तर पर उठाने का प्रयास किया और लÛातार कर रहे हैं परन्तु एक साथ मिलकर निजी राजनीतिक सरोकारों से उपर उठकर ,क साथा नहीं उठने बैठने के कारण सामुदायिक दबाव नहीं बनता था इस कारण बरसों से हमारे इन प्रस्तावित बिन्दुओ पर शासन प्रशासन और सत्ताधारियों के कान में जूं नहीं रेंगता था । परन्तु हर्रई अधिवेशन का सुनियोजित व्यवस्थित कार्यकृम शासन प्रशासन का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रहा । सभी राजनीतिक दलों के समुदाय के प्रतिनिधियों का एक साथ दिखाई देना समुदाय के राष्ट्रीय शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया । किसी सरकार राज्यपाल और व्यवस्था मुख्यमंत्री के माध्यम से गोंडी भाषा को आठवीं अनुसूचि में शामिल कराये जाने हेतु विधान सभा में संकल्प पारित कराने की घोषणा की गई ।
समुदाय की ताकत ने जनजातियों के लिये बनी स्वीय विधि को संवैधानिक मान्यता दिये जाने की घोषणा भी महत्वपूर्ण है ।
पांचवी अनुसूचि के स्थानीय नियम बनाने का आश्वासन भी महत्वर्पूण है
ये बिन्दु इस अधिवेशन के पारित प्रस्ताव हैं जिसे पूरा करने का निर्देश समुदाय की ओर से राज्यपाल और मुख्यमंत्री को दिया गया है ।
कुछ मित्रों को मानना है कि मुख्यमंत्री राज्यपा को क्यों बुलाय गया तो मेंरा मानना है कि समुदाय के सामने बुलाकर अपनी समस्याओं का संवैधानिक कार्यवाही कौन करेगा जो कुछ भी हो समुदाय के सामने उन्हें निर्देश देना आवश्यक था इसलिये उन्हें बुलाया गया अन्यथा समुदाय तो छोटे छोटे स्तर पर इन्हीं बन्दिुओ की मांग करता हुआ अनेको आवेदन अभ्यावेदन देता रहा है परन्तु इस पर सत्ताओं ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी । मैने अपने अल्प उदबोधन में मुख्यमंत्री जी से केवल यही कहा कि हम अधिक नहीं चाहते लेकिन छोटे छोटे आवेदन और छोटे स्तर के कार्यकृमों में यदि संविधान सम्मत बात आप तक आती है तो उसे पूरा करें संविधान में हमारी जनसंख्या के अनुपात में जितना हिस्सा है बस उतना ही दे दें और अधिक की चाहत हमें नहीं ।
साथियों समुदाय की केन्दीय शक्ति का निर्माण होना आवश्यक है अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा इसी केंद्रीय शक्ति का सूचक और पर्याय भी है । -gsmarkam
(13 वां अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा का राष्ट्रीय अधिवेशन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ ।)
आजादी पूर्व 1931 में जिन् प्रस्ताओं को हमारे पुरखों ने समय समय पर पारित कर शासन प्रशासन को अवगत कराने का काम करते रहे वे मुख बिन्न्दु भाषा धर्म संस्कृति हैं जो समुदाय को संगठित करने के लिये आवश्यक है जिन्हें 1947 के बाद बने संगठनो ने अपने अपने स्तर पर उठाने का प्रयास किया और लÛातार कर रहे हैं परन्तु एक साथ मिलकर निजी राजनीतिक सरोकारों से उपर उठकर ,क साथा नहीं उठने बैठने के कारण सामुदायिक दबाव नहीं बनता था इस कारण बरसों से हमारे इन प्रस्तावित बिन्दुओ पर शासन प्रशासन और सत्ताधारियों के कान में जूं नहीं रेंगता था । परन्तु हर्रई अधिवेशन का सुनियोजित व्यवस्थित कार्यकृम शासन प्रशासन का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रहा । सभी राजनीतिक दलों के समुदाय के प्रतिनिधियों का एक साथ दिखाई देना समुदाय के राष्ट्रीय शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया । किसी सरकार राज्यपाल और व्यवस्था मुख्यमंत्री के माध्यम से गोंडी भाषा को आठवीं अनुसूचि में शामिल कराये जाने हेतु विधान सभा में संकल्प पारित कराने की घोषणा की गई ।
समुदाय की ताकत ने जनजातियों के लिये बनी स्वीय विधि को संवैधानिक मान्यता दिये जाने की घोषणा भी महत्वपूर्ण है ।
पांचवी अनुसूचि के स्थानीय नियम बनाने का आश्वासन भी महत्वर्पूण है
ये बिन्दु इस अधिवेशन के पारित प्रस्ताव हैं जिसे पूरा करने का निर्देश समुदाय की ओर से राज्यपाल और मुख्यमंत्री को दिया गया है ।
कुछ मित्रों को मानना है कि मुख्यमंत्री राज्यपा को क्यों बुलाय गया तो मेंरा मानना है कि समुदाय के सामने बुलाकर अपनी समस्याओं का संवैधानिक कार्यवाही कौन करेगा जो कुछ भी हो समुदाय के सामने उन्हें निर्देश देना आवश्यक था इसलिये उन्हें बुलाया गया अन्यथा समुदाय तो छोटे छोटे स्तर पर इन्हीं बन्दिुओ की मांग करता हुआ अनेको आवेदन अभ्यावेदन देता रहा है परन्तु इस पर सत्ताओं ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी । मैने अपने अल्प उदबोधन में मुख्यमंत्री जी से केवल यही कहा कि हम अधिक नहीं चाहते लेकिन छोटे छोटे आवेदन और छोटे स्तर के कार्यकृमों में यदि संविधान सम्मत बात आप तक आती है तो उसे पूरा करें संविधान में हमारी जनसंख्या के अनुपात में जितना हिस्सा है बस उतना ही दे दें और अधिक की चाहत हमें नहीं ।
साथियों समुदाय की केन्दीय शक्ति का निर्माण होना आवश्यक है अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा इसी केंद्रीय शक्ति का सूचक और पर्याय भी है । -gsmarkam
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