“गोंडवाना की भाषा,धर्म,संस्क्रति को पकड के रखो , जकड के रखो लेकिन वर्तमान में जियो”-गुलजार सिंह मरकाम)
(1) “गोंडवाना की भाषा,धर्म,संस्क्रति को पकड के रखो , जकड के रखो लेकिन वर्तमान में जियो”-गुलजार सिंह मरकाम)
गोंडवाना आन्दोलन के प्रमुख तीन आधारिक बिन्दू भाषा,धर्म,संस्क्रति में निरन्तर ताजगी बनाये रखना है । साथ ही वर्तमान स्वयं की जीविका के लिये संघर्ष करना है । केवल जीविका के लिये जीवित रहना जानवर का जीवन है । भाषा,धर्म,संस्क्रति की रक्छा करते हुए जीविकोपार्जन के साथ जीना इंसान की पहचान है ।
(2) मप्र में जनजातियों की रूढिजन्य विधी संहिता को मिलेगा सवैधानिक मान्यता गैर गोंडी या गैर आदिधर्मियों को होगी अडचन ५वी अनुसूचि में धर्मांतरित अन्य धर्म के लोग होंगे बेदखल । आदिवासियों को अन्य धर्म के धर्मांतरित लोग कहते हैं आदिवासियों का कोई धर्म नहीं0 केवलr गुमराह करने वाली बात है । आदिवासी/गोंडियन का अपना धर्म है उसे मानें पांचवी अनुसूचि का धर्म से गहरा संबंध है जागरूक सगाजन इस पर अवश्य ध्यान दें । कोई शंका हो तो मुझसे जरूर बात क़रे-gsmarkam
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