10 11 12 फरवरी 2018 को हरर्रई जिला छिंदवाडा चलो ।
अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के कार्यकृम संबंधी समीक्षा
अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा एक एैतिहासिक संस्था है जिसने देश की कथित आजादी के पूर्व से ही शासक रहे गोंडवाना के गणों की मान मर्यादा और सम्मान के लिये लगातार प्रतिवर्ष प्रत्येक राज्य में राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाकर गोंडवाना के गणों के सर्वागीण विकास का मूल्यांकन कर कमी बेसी के संबंध में अगली रणनीति तय की जाती रही है । देश की आजादी के बाद इनमें से कुछ लोग चुनाव चक्कर और कांग्रेस के झांसे में आकर अपना हित कांग्रेस में सुरक्षित मानकर उसके साथ हो लिये । परन्तु कुछ स्वाभिमानी लोग जिसमें राजा महाराजा और अन्य बुदिजीवि सदैव गोंडवाना समुदाय के हित चिंतन में लगे रहे उदाहरण के लिये हर्रई ,पानाबरस, कवर्धा, गढचिरोली के राजाओं के साथ राजा लाल श्यामशाह जी गंडई तथा मण्डला के समाजसेवी धोकल सिंह मरकाम और राजा प्रवीणचंद भंजदेव का नाम सम्मान से लिया जा सकता है फिर भी अनेक बुद्विजीवि और राजपरिवारों ने समुदाय हित के लिये लगातार अखिल गोंडवाना गोंड महासभा के कार्यकृम को जारी रखे जिसका परिणाम था कि समुदाय के विकास की समीक्षा का यह कृम जारी रखा गया । आजादी के बाद कुछ लोग भले ही पार्टियों के चक्कर में लगकर इस एैतिहासिक अधिवेशन को दरकिनानार कर दिये लेकिन इसके राज्य पुनर्गगठन के बाद क्षेत्रीय स्तर पर गोंड समाज के नाम पर संगठनों का निर्माण होता गया और मूल संगठन स्थानीय प्रदेशों के संगठनों के निर्माण के करण शिथिल हो गया । गोंडवाना नाम के किसी संगठन ने यदि अपना मूल एजेंण्डा बनाया है तो वह अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के एजेंडे से ही कुछ सामग्री लेकर बनाया है । जो भी संगठन गोंडवाना की भाषा धर्म संस्कृति और राज्य के एजेण्डे को अपना कहती है तो समझों कि उसे गोंडवाना आन्दोलन की शुरूआत और आन्दोलन की समझ नहीं । आपको यदि इस बात की तसल्ली करना है तो अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के 1931 और 32 के प्रस्तावों का अध्ययन करना चाहिये कि कि हमारे मुखियाओं ने समुदाय हित में कौन कौन से प्रस्ताव किये थे । हमें अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय शिशुपाल शोरी जी का धन्यवाद करना चाहिये कि वे इस परंपरा को पुनः कायम करते हुए विभिन्न राज्यों में इसका सफल नेतृत्व करते हुए हमारे पुरखों की अपेक्षा और परंपरा को कायम करते हुए आगे बढ रहे हैं । कुछ अज्ञानी किस्म के लोगों का कहना है कि वे किसी पार्टी के आदिवासी मोर्चा के अध्यक्ष हैं इसलिये ठीक नहीं मेरा मानना है कि एैसे सम्मेलनों में यह संगठन समुदय के हर सम्माननीय और प्रतिष्ठित व्यक्ति को आमंत्रित करता है जिसमें किसी दल विशेष को महत्व नहीं केवल समुदाय को महत्व होता है इसलिये इस तरह की बात करके कुछ लोग एकपक्षीय सोच बनाते हैं जो इनकी रूग्ण मानसिकता का परिचायक है । अतः गोंडवाना के समस्त् गोंडवाना सगाजनों से अनुरोध है कि पुरखों के इस एैतिहासिक चिंतन के कृम को लगातार आगे बढाते हुए 10 11 12 फरवरी 2018 को हर्रई जिला छिंदवाडा मप्र में होने जा रहे एैतिहासिक कार्यकृम को सफल बनाने में अपनी महत्वर्पूण भूमिका अदा करें ।- gsmarkam
अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के कार्यकृम संबंधी समीक्षा
अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा एक एैतिहासिक संस्था है जिसने देश की कथित आजादी के पूर्व से ही शासक रहे गोंडवाना के गणों की मान मर्यादा और सम्मान के लिये लगातार प्रतिवर्ष प्रत्येक राज्य में राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाकर गोंडवाना के गणों के सर्वागीण विकास का मूल्यांकन कर कमी बेसी के संबंध में अगली रणनीति तय की जाती रही है । देश की आजादी के बाद इनमें से कुछ लोग चुनाव चक्कर और कांग्रेस के झांसे में आकर अपना हित कांग्रेस में सुरक्षित मानकर उसके साथ हो लिये । परन्तु कुछ स्वाभिमानी लोग जिसमें राजा महाराजा और अन्य बुदिजीवि सदैव गोंडवाना समुदाय के हित चिंतन में लगे रहे उदाहरण के लिये हर्रई ,पानाबरस, कवर्धा, गढचिरोली के राजाओं के साथ राजा लाल श्यामशाह जी गंडई तथा मण्डला के समाजसेवी धोकल सिंह मरकाम और राजा प्रवीणचंद भंजदेव का नाम सम्मान से लिया जा सकता है फिर भी अनेक बुद्विजीवि और राजपरिवारों ने समुदाय हित के लिये लगातार अखिल गोंडवाना गोंड महासभा के कार्यकृम को जारी रखे जिसका परिणाम था कि समुदाय के विकास की समीक्षा का यह कृम जारी रखा गया । आजादी के बाद कुछ लोग भले ही पार्टियों के चक्कर में लगकर इस एैतिहासिक अधिवेशन को दरकिनानार कर दिये लेकिन इसके राज्य पुनर्गगठन के बाद क्षेत्रीय स्तर पर गोंड समाज के नाम पर संगठनों का निर्माण होता गया और मूल संगठन स्थानीय प्रदेशों के संगठनों के निर्माण के करण शिथिल हो गया । गोंडवाना नाम के किसी संगठन ने यदि अपना मूल एजेंण्डा बनाया है तो वह अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के एजेंडे से ही कुछ सामग्री लेकर बनाया है । जो भी संगठन गोंडवाना की भाषा धर्म संस्कृति और राज्य के एजेण्डे को अपना कहती है तो समझों कि उसे गोंडवाना आन्दोलन की शुरूआत और आन्दोलन की समझ नहीं । आपको यदि इस बात की तसल्ली करना है तो अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के 1931 और 32 के प्रस्तावों का अध्ययन करना चाहिये कि कि हमारे मुखियाओं ने समुदाय हित में कौन कौन से प्रस्ताव किये थे । हमें अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय शिशुपाल शोरी जी का धन्यवाद करना चाहिये कि वे इस परंपरा को पुनः कायम करते हुए विभिन्न राज्यों में इसका सफल नेतृत्व करते हुए हमारे पुरखों की अपेक्षा और परंपरा को कायम करते हुए आगे बढ रहे हैं । कुछ अज्ञानी किस्म के लोगों का कहना है कि वे किसी पार्टी के आदिवासी मोर्चा के अध्यक्ष हैं इसलिये ठीक नहीं मेरा मानना है कि एैसे सम्मेलनों में यह संगठन समुदय के हर सम्माननीय और प्रतिष्ठित व्यक्ति को आमंत्रित करता है जिसमें किसी दल विशेष को महत्व नहीं केवल समुदाय को महत्व होता है इसलिये इस तरह की बात करके कुछ लोग एकपक्षीय सोच बनाते हैं जो इनकी रूग्ण मानसिकता का परिचायक है । अतः गोंडवाना के समस्त् गोंडवाना सगाजनों से अनुरोध है कि पुरखों के इस एैतिहासिक चिंतन के कृम को लगातार आगे बढाते हुए 10 11 12 फरवरी 2018 को हर्रई जिला छिंदवाडा मप्र में होने जा रहे एैतिहासिक कार्यकृम को सफल बनाने में अपनी महत्वर्पूण भूमिका अदा करें ।- gsmarkam
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